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सप्रसंग व्याख्या ( काव्य खंड)

पूर्वज्ञान: हिंदी के कुछ प्रतिनिधि कवियों और उनकी मुख्य रचनाओं का सामान्य परिचय।
शिक्षण बिंदु हिंदी कविता की निम्नलिखित इकाइयों का अध्ययन अपेक्षित है
हिंदी कविता का विकास
कविता कैसे पढ़ें – पठित-अपठित
सप्रसंग व्याख्या कैसे करें?
परीक्षा की उत्तर-पुस्तिकाओं की जांच वरिश्ठ और अनुभवी अध्यापकों के द्वारा की जाती है। उन्हें एक परीक्षा-पत्रक भी उपलब्ध कराया जाता है, जिसमें प्रश्नपत्र के आदर्श उत्तर दिये जाते हैं, ताकि उनके आधार पर वे जांच करें।
किसी प्रश्न के उत्तर के लिये अंकों का विभाजन कैसे किया गया है, और क्या लिखने पर कितने अंक मिलेंगे, यह भी निर्देश दिया रहता है।
उदाहरण के लिये यदि हम किसी कविता की व्याख्या कर रहे हों, तो उसके अंकों का विभाजन करके बताया जाता है कि संदर्भ के लिये कितने अंक हैं, प्रसंग के लिये कितने और व्याख्या, पदलालित्य के लिये कितने।
संदर्भ और प्रसंग के लिये जितने अंक होते हैं, उनका भी एक और विभाजन रहता है। जैसे संदर्भ में कवि का नाम, पुस्तक का नाम और रचना का नाम बताना होता है, तो तीनों । सूचनाओं पर अंक विभाजित होते हैं। कोई एक जानकारी भी न दी जाये तो अंक कट जाते
इसलिये जान लीजिये कि संदर्भ किसे कहते हैं?:
कविता अथवा गद्य के अंश विशेष को व्याख्या के लिये जहां से लिया गया है, उस पाठ्यपुस्तक का नाम, पाठ का शीर्षक और उसके रचनाकार की जानकारी देना ही संदर्भ कहलाता है।
व्याख्या कैसे करें?
प्रसंग: इसमें पंक्तियों में कही गई कुछ बातों को बताना होता है!
संदर्भ: इसमें यह बताना होता है कि पूछा गया व्याख्या
- किस बुक से लिया गया है
- कवि व कविता का नाम बताना होता है
- कवि की मुख्य रचनाएँ और उसकी प्रमुख बातों को बताना होता है
व्याख्या: पूछे गये पंक्तियों को ध्यान से पढ़कर उसकी व्याख्या करना होता है!
विशेष: कवितांश में कोई विशिष्ट विचार, दर्शन या शैली आदि को विशेष के अंतर्गत प्रस्तुत करते हैं।
उदाहरण देखते देखा मझे तो एक बार
उस भवन की ओर देखा, छिन्न तार;
देखकर कोई नही.
देखा मझे उस दृष्टि से जो मार खा रोई नही,
सजा सहज सितार,
सनी मैने वह नही जो भी सनी झंकार!
उत्तर:
प्रसंग- यह कवितांश सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने लिखा है। इसका शीर्षक ‘वह तोडती पत्थर’ है। इसमें कवि ने इलाहाबाद की किसी सड़क पर पत्थर तोड़ती मजदूरिन का चित्र प्रस्तुत किया है!
संदर्भ: इस कवितांश में कवि ने मजदूरिन के भाव को समझा है कि कैसे वो अपने कष्ट और मन में दबे अपने भावों को छुपाकर रखे हुए थी पर उसकी नज़रें सब कुछ बयान कर रही थी!
व्याख्या: कवि ने मजदूरिन को दोपहर को सड़क पर पत्थर तोड़ते देखा! उसे भी देखा कि उसे कोई देख रहा है। कवि को देखकर उसने सामने खड़ी बड़ी इमारत को देखा। इस तरह देखने में उसका ध्यान अपने काम से कुछ देर के हट गया! भव्य भवन देखकर उसके मन में अमीरों की ओर से किसी तरह की जलन पैदा नही हुई।
उसने कवि को ऐसी नजर से देखा जैसे वह उसे बता रही है कि उसने जीवन में बेहद कष्ट सहे है पर वह उसे उन कष्टों को रोकर या किसी तरह अपनी दीनता जाहिर करते नही सुना रही है। मजदूरिन को देखकर कवि को ऐसा लगा जो झंकार कभी उसने सितार के तार छेड़ने पर नही सुनी वह उसे उसकी स्वाभाविक दृष्टि से देखने पर सुनाई पड़ी!
विशेष: इस छंद में बिना संवाद के संवाद है! सिर्फ आँखों के इशारे से सारे भाव व्यक्त है। यहाँ देखने का मौन प्रकट है! कवि मजदूरिन के हृदय को छिन्न तार कहा है! मुक्त छन्द
प्रसंग किसे कहते हैं? जिस अंश को व्याख्या के लिये लिया गया है, उसमें कौन सा विचार, भाव या घटना का वर्णन है, इसकी जानकारी देना ही प्रसंग कहलाता है।
काव्य सौंदर्य क्या है? व्याख्या के लिये प्रस्तुत कवितांश में रस, अलंकार, भाशा, भाव, बिंब, प्रतीक योजना आदि के प्रयोग को काव्य सौंदर्य कहा जाता है। इसे पद सौंदर्य, पद लालित्य, पद सौष्ठव भी कहते हैं। उदाहरण आत्मपरिचय कविता से काव्य सौंदर्य
काव्य सौन्दर्य में आपको दो पॉइंट लिखने होते है!
- भाव सौन्दर्य: इसमें यह बताना होता है कि पूछे गये पंक्ति का भाव अर्थात् वह क्या कहना चाहता है!
- शिल्प सौन्दर्य: इसमें पंक्ति में प्रयोग हए रस, अलंकार, भाषा, और छंद के बारे में बताना होता है।
किसी भी पद्य की रचना सौन्दर्य के बिना अधूरी है। उसे अलंकृत करने के लिए कवि मुहावरे, अलंकार, छंद का प्रयोग करते है। किसी भी काव्य का सौन्दर्य निश्चित करने के लिए विद्यार्थी को सर्वप्रथम उसका ध्यानपूर्वक पठन करना चाहिए।
फिर उसकी भाषा का परीक्षण करके उसमे प्रयुक्त तत्सम, देशज या तद्भव शब्दों को इंगित करना चाहिए। छंद, अलंकारो को पहचानकर उनका वर्णन करना चाहिए। संक्षिप्त रूप देकर उसमें लक्षित भाव का वर्णन करना चाहिए।
उदाहरण: निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए: कनक कनक तै सौगुनी, मादकता अधिकाय! वाखाएँ बौरात है, या पाएं बौराय!!
उत्तरः
भाव सौन्दर्य: यह दोहा महाकवि बिहारी का है! इसमें कवि ने धन के बुरे प्रभाव का वर्णन किया है। कवि यहाँ कहना चाहता है कि अगर व्यक्ति को धन मिल जाता है तो उसे अपने नियंत्रण करना चाहिए!
शिल्प सौन्दर्य: कनक शब्द का अर्थ यहाँ दो भिन्न अर्थ में है! एक का अर्थ है सेना और दुसरे का अर्थ है धतूरा! इसीलिए यहाँ यमक अलंकार है! साहित्यिक ब्रज भाषा का प्रयोग है, दोहा छंद है!