Nios Class 10th Hindi Chapter-4

Nios Class 10th Hindi Chapter-4

संसार में जो भी उपलब्धियाँ हैं, उन सबके पीछे एक ही चीज़ दिखाई देती है, वह हैपुरुषार्थ, परिश्रम, मेहनत । आज कृषि, चिकित्सा विज्ञान आदि के क्षेत्र में जो प्रगति हुई है, वह पुरुषार्थ के बिना भला कैसे संभव हो सकती थी। क्या आलसी व्यक्ति यह सब कर सकते थे? आप दसवीं कक्षा पास करना चाहते हैं। क्या आपके आलस्य से काम बन पाएगा? मात्र भाग्य के भरोसे बैठे रहना, परिश्रम न करना, न तो बुद्धिमत्ता है और न ही सफलता पाने का जरिया। भाग्यवाद तो व्यक्ति को आलसी बना देता है। यह प्रगति का शत्रु होता है। तुलसीदास जी ने यही कहा है- ‘सकल पदारथ एहि जग माहीं। करमहीन नर पावत नाहीं।’ तो आलस्य छोड़ो, कर्महीनता त्यागो। इसी तरह कठोपनिषद् में भी कहा गया है- 

उत्तिष्ठत, जाग्रत, प्राप्य वरान्निबोधात ।

अर्थात् उठो, जागो और श्रेष्ठतम को प्राप्त कर उन्हें जानो। 

प्रस्तुत कविता का स्वर भी ऐसा ही है।

उद्देश्य

इस पाठ को पढ़ने व देखने  के बाद आप

  • कर्म और परिश्रम के संबंध की व्याख्या कर सकेंगे; 
  • जीवन में उन्नति और प्रगति के लिए पुरुषार्थ के महत्त्व को स्पष्ट कर सकेंगे; 
  • राष्ट्र के विकास के लिए एकता और भाईचारे के महत्त्व का उल्लेख कर सकेंगे; ‘
  • भाग्यवाद मनुष्य को अकर्मण्य बना देता है’- कथन की व्याख्या कर सकेंगे; 
  • रूपक तथा दृष्टांत अलंकारों को पहचान कर उनका प्रयोग कर सकेंगे; 
  • कविता की पंक्तियों का अपने शब्दों में अवसरानुकुल प्रयोग कर सकेंगे; 
  • कविता के भाव-सौंदर्य की सराहना कर सकेंगे; 
  • कविता की भाषा पर टिप्पणी कर सकेंगे।