NIOS Class 10th Hindi (201) Most Important Questions & Answers

प्रश्न – निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर के रूप में दिए गए विकल्पों में से सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प छाँटकर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखिए :

(क) रहीम के अनुसार कोयल किस ऋतु में मौन साध लेती है ?

i.          ग्रीष्म

ii.         वसंत

iii.        शरद

iv.        वर्षा

उत्तर –  वर्षा

(ख) ‘चंद्रगहना से लौटती बेर’ कविता में देह की पतली कमर की लचीली कौन है ?

i.          लड़की

ii.         सरसों

iii.        अलसी

iv.        मछली

उत्तर – अलसी

(ग) कवि ने जगाने का अनुरोध सूर्य, पवन और पक्षी से किया हैं क्योंकि वे –

i.          सुन्दर हैं

ii.         क्रियाशील हैं

iii.        प्रगतिशील हैं

iv.        अनुभवी हैं

उत्तर –  क्रियाशील हैं

(घ) ‘बूढ़ी पृथ्वी का दुख’ कविता में पेड़ों के हज़ारों हज़ार हाथों से हिलने से अभिप्राय है –

i.          रक्षा की गुहार लगाना

ii.         खुशी से झूम उठना

iii.        तूफान से काँपना

iv.        हवा से थिरकना

उत्तर – रक्षा की गुहार लगाना

(ङ्) ‘इसे जगाओ’ कविता में क्षिप्र’ किसे बताया गया है ?

i.          जो घबराकर भागता है

ii.         जो तेज़ रफ्तार से चलता है

iii.        जो अवसर को नहीं चूकता

iv.        जो क्षणभर को सजग रहता है

उत्तर – जो क्षणभर को सजग रहता है

प्रश्न – यह काव्यांश किस पाठ से लिया गया है, इसके कवि के नाम का उल्लेख करते हुए काव्यांश का काव्य सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए:

सुना है कभी

रात के सन्नाटे में अँधेरे से मुँह ढाँप

किस कदर होती हैं नदियाँ ?

इस घाट अपने कपड़े और मवेशी धोते

सोचा है कभी कि उस घाट

पी रहा होगा कोई प्यासा पानी

या कोई स्त्री चढ़ा रही होगी किसी देवता को अर्घ्य?

उत्तर –

भाव सौन्दर्य इन पंक्तियों में कवयित्री ने नदी के प्रदुषण को प्रकट किया है, वह कहती है जैसे एक दुखी मनुष्य अकेले में सिसक-सिसक के रोता है उसी प्रकार एक गन्दी नदी भी अँधेरे में मुह ढांप के रोती है यह कवयित्री ने मानवीयकरण अलंकर का प्रयोग किया है | यह नदी के दो किनारों की बात हो रही है एक किनारे पर स्वार्थी व्यक्ति अपने पशु को नदी में नेहला रहा है अपने गंदे कपड़े धो रहा है , और दुसरे किनारे पर एक प्यासा पानी पी रहा है और एक स्त्री देवता को जल जड़ा रही होगी और पानी पिने के लिल्ये साफ और स्वच्छ जल की जरूरत होती है और देवता को भला कोई गंदा जल कैसे जड़ा सकता ही उन्हें पवित्र जल चड़ाया जाता है | इसलिए हमे अपने फायदे के लिए प्राकृतिक संसाधनो का हनन नही करना चाहिए |

शिल्प सौन्दर्य  –

कविता – बूढी पृथ्वी का दुःख

कवयित्री – निर्मला पुतुल

अलंकर – मानवीयकरण अलंकर का प्रयोग किया है

भाषा – भावो के अनुकूल है

शैली – लविता की शैली प्रश्न शैली है  

प्रश्न – निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

“जब मैं जीवित था’ – मूर्ति ने उत्तर दिया – “और मेरे वक्ष में मनुष्य का हृदय धड़कता था, तब मेरा आँसुओं से परिचय नहीं हुआ था । मैं आनन्द महल में रहता था, जहाँ दुख को प्रवेश करने की इजाजत नहीं थी । दिन में मैं अपने उद्यान में विलास करता था और रात को नृत्य में लगा रहता था । मेरे उद्यान के चारों ओर एक प्राचीर थी, किंतु मेरे चारों ओर इतना सौन्दर्य था कि मैंने कभी बाहर देखने का प्रयत्न नहीं किया । मैं जीता रहा और मर गया । आज जब मैं मर गया हूँ, तो उन्होंने मुझे इतने ऊँचे पर स्थापित कर दिया है कि मैं संसार की सारी कुरूपता और दुख दर्द देख सकता हूँ । मेरे ही नगर में इतना दुख है कि यद्यपि मेरा हृदय जस्ते का है, मगर फिर भी फटा जा रहा है|”

(क) उपर्युक्त गद्यांश किस पाठ से है? इसके लेखक का नाम बताइए ।

उत्तर –  यह गद्यांश सुखी राजकुमार से लिया गया है इसके कवि का नाम ऑस्कर वाइल्ड है

(ख) मूर्ति ने कहा कि मैंने कभी बाहर देखने का प्रयत्न नहीं किया । – अर्थ स्पष्ट करते हुए बताइए कि मूर्ति ने ऐसा क्यों कहा ?

उत्तर – राजकुमार ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि वह एक बड़े से महल में रहता था और उसके चारो ओर बहुत सौन्दर्य था वह अपनी विलासिता पूर्ण जिन्दगी में इतना मगन था की उसने कभी आम लोगो के दुःख दर्द को समझना नही चाहा |

(ग) मूर्ति ने क्यों कहा कि मेरा हृदय फटा जा रहा है?

उत्तर – राजकुमार की मूर्ति इतनी ऊंचाई पर बनाई गई है की उसे अपने राज्य की सारी कुरूपता और दुःख-दर्द आसानी से दिखाई देतें हैं | उन्हें देख-देख कर उसका हृदय फटा जा रहा है |

प्रश्न – चंद्रगहना से लौटती बेर‘ कविता के आधार पर बताइए कि कवि को चने को देखकर क्या लगा? 

उत्तर – चने के पौधे का आकार छोटा होता है। चने में गुलाबी रंग के फूल आ गए हैं। कवि को लगता है, यह छोटे-से कद का, बित्ते भर का चना अपने सिर पर गुलाबी पाग (पगड़ी) बाँधे, सजे-सँवरे दूल्हे-सा खड़ा है।

प्रश्न – ‘उनको प्रणाम’ कविता के कवि और समाज की सोच में क्या अंतर है?

उत्तर –‘उनको प्रणाम’ कविता के कवि ऐसे व्यक्ति को प्रणाम करता है, जिन्होंने साधनहीन और सुविधाहीन होते हुए भी बड़े बड़े लक्ष्यों को पाने के लिए अपना तन-मन-धन सब कुछ लगा दिया। ऐसे लोग प्रणाम करने योग्य हैं कि कम से कम उन्होंने प्रयास तो किया। परंतु समाज ऐसे लोगो की प्रशंसा करता है जिन व्यक्तियों ने लक्ष्यों की प्राप्ति कर ली है और वह अपने लक्ष्य में सफल हो चुके हैं |

प्रश्न – आह्वान कविता में कवि ने देशवासियों का उद्बोधन करते हुए क्या उदाहरण दिया है?

उत्तर – आह्वान कविता में कवि देशवाशियों का उद्बोधन करते हुए यह कहता है की कार्य सिद्ध करने के लिए निरंतर कर्म करना आवश्यक है जैसे – मूर्ति ढालने से पहले उसका साँचा बनाना पड़ता है और इस साँचे को व्यक्ति को स्वयं अपने हाथों से बनाना पड़ता है | इसलिए व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने के लये कर्म करना पड़ता है |

प्रश्न – ‘आज़ादी’ का अर्थ आपके विचार में क्या हो सकता है? स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर – बिना किसी दबाव के, स्वतंत्र चिंतन तथा अपने जीवन के निर्णय स्वयं लेने का अधिकार मेरी दृष्टि में आज़ादी हैं |

प्रश्न – ‘उनको प्रणाम’ कविता में कवि सफलता से अधिक महत्त्व किसे देता है?

उत्तर – ‘उनको प्रणाम’ कविता में सफलता से अधिक महत्व कर्म को देता है क्योंकि सफलता को प्राप्त करने से अधिक जरुरी कर्म करना है |

प्रश्न – ‘आह्वान’ कविता में कवि ने किन्हें पौरुष का पाठ पढ़ने के लिए कहा है?

उत्तर –आह्वान कविता में कवि ने ऐसे व्यक्तियों को पौरुष का पाठ पढ़ने के लिए कहा है जो व्यक्ति भाग्य के भरोसे बैठें है और परिस्थितियों को बदलने और सुधारने की प्रतीक्षा कर रहें हैं |

प्रश्न – “सुबरन कलस सुरा भरा, साधू निंदै सोइ।” प्रस्तुत पंक्ति का भाव समझाइए।

उत्तर – सिर्फ ऊँची जाति या ऊँचे कुल में जन्म लेने से कुछ नहीं होता है। आपके कर्म अधिक मायने रखते हैं। आपके कर्मों से ही आपकी पहचान बनती है। यह वैसे ही है जैसे यदि सोने के बरतन में मदिरा रखी जाये तो इससे सोने के गुण फीके पड़ जाते हैं।

प्रश्न – अभ्यास करने से मूर्ख व्यक्ति भी विद्वान हो जाता है – कवि वृंद ने इसे कैसे स्पष्ट किया है

अथवा

‘करत-करत अभ्यास तें, जड़मति होत सुजान ।’कवि वृंद के इस दोहे में ‘सुजान’ का क्या अर्थ है ?

उत्तर – कवि वृंद कहते हैं की निरंतर अभ्यास करने से मूर्ख से मूर्ख व्यक्ति भी बुद्धिमान बन सकता है, बिल्कुल उसी तरह, जिस कुएं से पानी खींचने के लिए लगाई गई रस्सी से कुएँ के पत्थर पर निशान पड़ जाते हैं। हमारे जीवन में उनके इस दोहे का बड़ा ही महत्व रहा और यह दोहा बड़ा ही उपयोगी सिद्ध हुआ।

प्रश्न – ‘चंद्रगहना से लौटती बेर’ कविता में किस परिवेश का चित्रण है?

उत्तर – ‘चंद्रगाहना से लौटती बेर’ कविता के कवि केदारनाथ अग्रवाल हैं | इस कविता में प्रकृति का मानवीकरण किया गया है । इस कविता में कवि का प्रकृति के प्रति गहन अनुराग व्यक्त हुआ है। वह चंद्र गहना नामक स्थान से लौट रहा है। लौटते हुए उसके किसान मन को खेत-खलिहान एवं उनका प्राकृतिक परिवेश सहज आकर्षित कर लेता है। इस कविता में कवि की उस सृजनात्मक कल्पना की अभिव्यक्ति है

प्रश्न – कबीरदास के अनुसार निंदक को पास क्यों रखा जाना चाहिए ?

उत्तर – कबीर के अनुसार निंदक को सदा अपने समीप रखना चाहिए क्योंकि उसके द्वारा निन्दा होने के भय से हम कोई बुरा कार्य नहीं करेंगे। निंदकों की निंदा-भरी बाते सुन-सुनकर हमें आत्मसुधार करने का मौका मिलेगा।

प्रश्न – ‘आज़ादी’ कविता में ‘नन्हे से बछड़े द्वारा उछल-कूद मचाना’ से कवि का क्या आशय है?

उत्तर –  ‘आज़ादी’ कविता में ‘नन्हे से बछड़े द्वारा उछल-कूद मचाना’ से कवि का यह आशय है की उन्मुक्त और उच्छृंखल होना |

प्रश्न – “पाठ पौरुष का पढ़ो’ से कवि का आशय क्या है ?

उत्तर – “पाठ पौरुष का पढ़ो” से कवि का यह आशय है की अब भाग्य के बदलने की प्रतीक्षा छोड़ दो और कर्म या पुरुषार्थ के मार्ग पर चलो क्योंकि परिस्तिथियाँ अपने आप नही बदलती | उन्हें मनुष्य को खुद बदलना पड़ता है |

प्रश्न – ‘आज़ादी वह रोटी है जिसे मेहनती ही खा सकता है ।’ – आज़ादी कविता के आधार पर पंक्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर – उस्ताद अपने शिष्य को यह समझता है, कड़ी महनत अगर किसान ने की है तो फसल काटने का हक़ भी उसी का है | मेहनत का फल मेहनत करने वाले को मिल्न चाहिए यह फल ही आज़ादी है |

प्रश्न – “बूढ़ी पृथ्वी का दुख’ कविता में हवा किस रोग से ग्रस्त है ?

उत्तर – “बूढ़ी पृथ्वी का दुख’ कविता में हवा तपेदिक (टी.बी.) रोग से ग्रस है |

प्रश्न – “उनको प्रणाम’ कविता में किन लोगों के प्रति श्रद्धा का भाव है ?

उत्तर – उनको प्रणाम कविता में ऐसे लोगो के प्रति श्रद्धा का भाव है जो बार-बार परिश्रम कर अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाए |

प्रश्न – वृंद के अनुसार चतुर और ज्ञानी बनने के लिए क्या आवश्यक है ?

उत्तर – वृंद के अनुसार चतुर और ज्ञानी बनने के लिए निरंतर अभ्यास आवश्य है क्योंकि इससे मूर्ख व्यक्ति भी चतुर और ज्ञानवान बन जाता है | ठीक उसी तरह, जैसे रस्सी के निरंतर आने-जाने से पत्थर पर उसका निशान बन जाता है। इसीलिए, किसी भी काम में सफलता पाने के लिए अभ्यास करना ज़रूरी है।

प्रश्न – इसे जगाओ‘ कविता में कवि ने किस-किस से सोए हुए आदमी को जगाने का आग्रह किया है? किन्हीं दो के नाम लिखिए ।

उत्तर – कवि ने सबसे पहले सूरज से आग्रह किया है कि वह सपनों में खोए आदमी को जगाए। इसके बाद उसने पवन से आग्रह किया है कि वह सोए आदमी को हिलाकर जगा दे।

प्रश्न – चंद्रगहना से लौटती बेर‘ कविता में हठीली लड़की किसे कहा गया है ? उसकी कोई एक अन्य विशेषता भी लिखिए ।

उत्तर – अलसी को हठीली बताया गया है, उसकी कमर को लचीली और देह को पतली बताया गया है। चूँकि उसके फूल नीले निकलते हैं, इसलिए कहा गया है कि ‘नील फूले फूल को सिर पर चढ़ा कर’ । कवि ने प्रकृति का कितना सुंदर दृश्य प्रस्तुत किया है-अलसी कहती है कि जो मुझे छुए उसे मैं अपना हृदय दे दूँ ।

प्रश्न – ‘आह्वान’ कविता में कवि ने ‘अनेकता होने पर भी एकता हो सकती है ।’ इस तथ्य को स्पष्ट करने हेतु कौन-सा उदाहरण दिया है ?

उत्तर – जैसे हमारे देश में विभिन्न प्रकार के धर्मों, संप्रदायों और जातियों के लोग रहते हैं। वे सब मिलकर एक सुंदर और खुशहाल भारत का निर्माण कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, कवि कहता है कि विभिन्न प्रकार के फूलों से एक सुंदर माला बनाई जा सकती है उसी तरह हम विभिन्न संप्रदायों के लोग मिलकर एक सुंदर और स्वतंत्र खुशहाल भारत का निर्माण कर सकते हैं।

प्रश्न – ‘नदियाँ मुँह ढाँप कर रोती है’ का क्या अर्थ है ? ‘बूढ़ी पृथ्वी का दुख’ कविता के आधार पर बताइए ।

उत्तर – पर्यावरण बिगड़ने से नदियाँ सुख रही हैं । नदियाँ कूड़े-कर्कट से भर रही हैं उसका पानी गंदा हो रहे हैं। इस प्रकार नदियों में जल की कमी तथा नदियों का गन्दा होना ही नदियों के रोने का तात्पर्य है |

प्रश्न – ‘बूढी पृथ्वी का दुख’ कविता में कवयित्री ने पिछवाड़े’ शब्द का प्रयोग किस विशेष उद्देश्य से किया है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – पिछवाड़े का अर्थ है घर के पीछे का हिस्सा | हमारा ध्यान मुख्य घर की सजावट की ओर रहता है, पर पिछवाड़े की चिंता नहीं करते | वहाँ कूड़ा फेंकते हैं | इससे गंदगी फैलती है | इस तरह मनुष्य विकास के बड़े बड़े दावे करता है परंतु भीतर से वह गंदगीभरा होता है |

प्रश्न – कबीर के अनुसार निंदक को अपने पास रखने से आत्मबोध जैसे जीवन कौशल को उभारा जा सकता है। क्या आप इस बात से सहमत हैं? अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर – हाँ हम इस बात से सहमत है क्योंकि उसके पास रहने से हमको यह लाभ होगा कि वह बिना पानी और साबुन के हमारे स्वभाव को स्वच्छ बना देगा अर्थात् हम उसके द्वारा निन्दा होने के भय से कोई बुरा कार्य नहीं करेंगे। आशय यह है कि निंदकों की निंदा-भरी बाते सुन-सुनकर हमें आत्मसुधार करने का मौका मिलेगा।

प्रश्न – ‘बीती विभावरी जाग री’ कविता के आधार पर प्रातःकालीन प्रकृति का चित्रण अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर – उषा-काल में अरुणिम उषा की उज्ज्वलता के कारण तारें ऐसे विलीन हुए जाते हैं मानो कोई सुंदर रमणी(उषा रूपी) अपने घट को (ताराओं के) पनघट/सरोवर में (अम्बर रूपी) डुबो रही हो।’ ‘खग-कुल’ अर्थात पक्षियों का समुदाय ‘कुल-कुल’ की मीठी आवाज निकाल रहा है। सुखद- शीतल मलयानिल के प्रवाह के का समूह आँचल के समान डोल रहा है, यह लता भी मधुमय सौरभ युक्त नव-कलिकाओं से भर कर रस की गागर के समान प्रतीत हो रही है।’ हर तरफ चहल-पहल है, प्रभात का उत्सव है।

प्रश्न – संसाधनों के अभाव में लक्ष्य प्राप्त न करने वालों को कवि प्रणाम क्यों करना चाहता है ?

उत्तर – संसाधनों के अभाव में लक्ष्य प्राप्त न करने वालों को कवि इसलिए प्रणाम करना चाहता है क्योंकि सफलता से अधिक महत्वपूर्ण है परिश्रम | केवल ऐसे ही व्यक्तियों को समाज में सम्मान व याद किया जाता है जिन्होंने सफलता प्राप्त कर ली हैं परंतु ऐसे लोगों को कोई याद नहीं करता जिन्होंने सफलता प्राप्त करने के लिए परिश्रम किया, किन्तु संसाधन के अभाव या किसी करण वश वह अपना लक्ष्य प्राप्त नही कर सके | कवि ऐसे ही लोगों को प्रणाम करता है जिन्होंने बार-बार परिश्रम किया परंतु सफल नही हो सके |

प्रश्न – सोए हुए आदमी को किनसे और क्यों जगाने का आग्रह किया गया है ?

उत्तर – देर तक सोए हुए व्यक्ति को देखकर कवि सूरज, पवन और पक्षी से उसे जगाने को कहता है। वह कहता है। कि यह आदमी अपने आस-पास की दुनिया से और जीवन के सच से बेखबर होकर सोया हुआ है। यह बिस्तर पर पड़ा सपने देख रहा है। इसे वक्त पर जगाना ही उचित है। यदि यह देर से जागेगा तो आगे निकल गए लोगों को पाने के लिए घबराकर भागने लगेगा। तेज और फुर्तीली चाल से चलना तो ठीक है लेकिन घबराकर भागना मूर्खता है। वक्त किसी का इंतजार नहीं करता। एक बार वक्त निकल गया तो फिर उसे पकड़ पाना संभव नहीं होगा। कवि ने समय आँवाने वाले और सही समय पर कार्य में लगने वाले व्यक्तियों की तुलना प्रस्तुत की है।

(‘जो जल बाढ़े नाव में, घर में बाढ़े दाम ।’)

प्रश्न – कबीरदास के इस दोहे के आधार पर बताइए कि धन की अधिकता से होने वाली विकृतियों को आप दूर करने हेतु क्या-क्या कदम उठाएँगे ।

उत्तर – जिस तरह नांव में जल भर जाता है तो हम उसे तुरत ही बाहर फेंकना शुरू कर देते हैं उसी तरह हमें जीवन में जब बहुत ज्यादा धन इकट्ठा हो जाए तो उसे तुरंत ही दान इत्यादि करके खर्च कर देना चाहिए। जिस तरह नाव को जल, नाव को डूबो देता है उसी तरह जीवन में बहुतायत धन, जीवन को भी बर्बाद कर देता हैं। समझदार लोग उसे जल्द ही खर्च कर देते हैं और भारमुक्त हो जाते हैं।

प्रश्न – ‘बूढ़ी पृथ्वी का दुख’ कविता के संदर्भ में बताइए कि ज़्यादा से ज्यादा सुविधाओं के भोग के लालच में हो रहे प्रकृति के अंधाधुंध दोहन को रोकने हेतु आप क्या-क्या कदम उठाएँगे?

उत्तर

  • हमें प्लास्टिक की चीजों के इस्तेमाल से परहेज करना होगा। कूड़े-कचरे को इधर-उधर नहीं फेंकना होगा।
  • वर्षा के जल का संचय करते हुए भूमिगत जल को संरक्षित करने का प्रयास करना होगा।
  • हमें मन में यह ध्येय रखकर कार्य करना होगा कि हम स्वयं अपने आपको, अपने परिवार, को देश को और इस पृथ्वी को सुरक्षित कर रहे हैं।
  • प्रदूषण से बचने के लिए हमें अत्यधिक पेड़ लगाने होंगे।
  • सौर ऊर्जा व पवन ऊर्जा के प्रयोग पर बल देना होगा
  • नदी किनारे बसे लोगों को नदी में गंदे कपड़े नहीं साफ करने चाहिए।
  • नदी में डिटर्जेट पाउडर, साबुन का प्रयोग और जलीय जीवों के शिकार से परहेज करना चाहिए।

प्रश्न – ‘उनको प्रणाम!’ कविता का मूल भाव क्या है?

उत्तर- “उनको प्रणाम” कविता कवि ‘नागार्जुन’ द्वारा लिखी गई कविता है। इस कविता का मूल भाव आदर और सम्मान है। कर्मठ, मेहनती और प्रयत्नशील लोगों के लिये आदर सम्मान प्रकट करना है। कवि ने यह कविता ऐसे लोगों के लिए समर्पित की है जिन्होंने साधनहीन और सुविधाहीन होते हुए भी बड़े बड़े लक्ष्यों को पाने के लिए अपना तन-मन-धन सब कुछ लगा दिया। जीवन में बहुत से ऐसे लोग होते हैं, जिन्होंने अपने भरपूर साहस और हौसले के साथ अथक प्रयास और संघर्ष किए थे, लेकिन किसी कारणवश वह अपने लक्ष्य को पा नहीं सके। पर ऐसे लोग प्रणाम करने योग्य हैं कि कम से कम उन्होंने प्रयास तो किया।

ऐसे लोग भी हुए हैं जो बेहद ईमानदार, मेहनती और कर्मशील थे और सदैव उत्साह से भर कर जीवन पर्यंत काम करते रहे और यह आवश्यक भी नहीं की हर कोई जन सुविधा संपन्न या धनवान ही हो। बहुत सारे लोग इस संसार में ऐसे भी होते हैं जिन्हें छोटी-छोटी सुविधा भी नहीं मिल पाती थी। अभावों में रहते हुए भी ऐसे लोग किसी से शिकायत नहीं करते। किसी के आगे हाथ नहीं फैलाते बल्कि अपने लक्ष्य को पाने के लिए निरंतर गतिशील रहते हैं और लोग अपनी संघर्ष और ईमानदारी से अपने लक्ष्य को पा ही लेते हैं। कुछ कारणों में हो सकता है वह अपने हमेशा सफल नहीं हो पाते लेकिन उनकी जिजीविषा और उनकी इच्छा शक्ति प्रणान करने करने योग्य है।

कवि ऐसे लोगों को प्रणाम करता है, जो हमेशा प्रयत्नशील रहते हैं। कवि ने यह कविता  भारत के स्वाधीनता संग्राम में लगे देशभक्तों को भी समर्पित की है, जिन्होंने भारत की स्वाधीनता के लिए अपने जीवन की आहुति दे दी और खुशी-खुशी फांसी के फंदे पर भी झूल गए। वे आजादी रूपी लक्ष्य को पाने से पहले ही इस संसार से विदा हो गए। कवि कभी ना हार मानने वाले लोगों के लिए यह कविता समर्पित करता है, और उनको प्रणान करता है।

प्रश्न – “मरे बच्चे को गोद में दबाए रहने वाली बंदरिया मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती।” नाखून क्यों बढ़ते हैं ? पाठ में लेखक इस उदाहरण द्वारा क्या स्पष्ट करना चाहता है ?

उत्तर –  लेखक ने रूढ़िवादी विचारधारा और प्राचीन संवेदनाओं से हटकर जीवनयापन करने के प्रसंग में कहा है कि बंदरिया मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती। लेखक के कहने का अभिप्राय है कि मरे बच्चे को गोद में दबाये रहनेवाली बंदरियाँ मनुष्य का. आदर्श कभी नहीं बन सकती। यानी केवल प्राचीन विचारधारा या रूढ़िवादी विचारधारा विकासवाद के लिए उपयुक्त नहीं हो सकती। मनुष्य को एक बुद्धिजीवी होने के नाते परिस्थिति के अनुसार साधन का प्रयोग करना चाहिए।

प्रश्न – धन संग्रह आवश्यकता के अनुकूल ही क्यों अच्छा होता है? कबीरदास के कथन का आशय बताइए।

उत्तर – अगर नाव में जल बढ़ने लगता है तो उसे निकालना पड़ता है। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो नाव डूब जाती है। उसी तरह अगर घर में आवश्यकता  पूरी होने के बाद भी पैसा अधिक मात्रा में होता है तो घर के स्वामी को चाहिए कि वह उसे जरूरतमंदों को दान कर दे। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो यहाँ धन घर के सदस्यों में अनेक प्रकार की बुराइयों को जन्म देता है। इससे घर का नाश हो जाता है |

प्रश्न – नाखून को काटने की प्रवृत्ति किस बात की निशानी है ? ‘नाखून क्यों बढ़ते हैं’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर – नाखूनों को कातने की प्रवृत्ति मनुष्यता की निशानी है। मनुष्य के भीतर पशुत्व है लेकिन वह उसे बढ़ाना नहीं चाहता है। मानव पशुता को छोड़ चुका है क्योंकि पशु बनकर वह आगे नहीं बढ़ सकता। इसलिए पशुता की पहचान नाखून को मनुष्य काट देता

प्रश्न – “पर कर्म-तैल बिना कभी विधि-दीप जल सकता नहीं।’ ‘आह्वान’ कविता के आधार पर कवि ने उक्त पंक्ति द्वारा क्या संदेश दिया है?

उत्तर – कर्म रूपी तैल बिना दीपक रूपी भाग्य जल सकता है नहीं, जिस प्रकार तैल के बिना दीपक नही जल सकता उसी प्रकार कर्म के बिना भाग्य नही जल सकता | इस पंक्ति से कवि यह संदेश देना चाहते है कि बिना कर्म, परिक्षम के सफलता नहीं मिल सकती |

प्रश्न – ‘चन्द्रगहना से लौटती बेर’ कविता में बगुले को शोषक वर्ग का प्रतीक क्यों माना है?

उत्तर – केदारनाथ की इस कविता में उन्होंने काले माथे और सफेद पंखों वाली चिड़िया को स्वार्थी, अवसरवादी और शोषण करने वालों की प्रतीक बताया है। वह ‘मुँह में राम बगल में छुरी’ वाले लोगों की प्रतीक है, जो दिखने में सफेद-उज्ज्वल होते हैं, परन्तु मौका मिलते ही झपटा मारकर अपना पेट भर लेते हैं। ऐसे लोगों के माथे काले अर्थात् मस्तिष्क कुत्सित विचारों से भरे होते हैं।

प्रश्न – ‘इसे जगाओ’ कविता के आधार पर सपने देखना और सपनों में खोना में अंतर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर –‘सपने देखना’ और ‘सपने में खोए रहना’ में मुख्य अंतर यह है कि सपना देखना जीवन की एक महत्वपूर्ण क्रिया है। मनुष्य जब सपने देखता है तो उसे पूरा करने की चेष्टा करता है। हर आदमी कोई ना कोई सपना देखता है। वही सपना उसका उद्देश्य बन जाता है और वह अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए अथक प्रयास करता है। यही जीवन का सार है। बिना सपने देखें कोई अपने जीवन को उद्देश्यपूर्ण नहीं बना पाता।

इसके विपरीत सपनों में खोए रहना एक अलग स्थिति है। सपने में खोए रहने का मतलब है कि आदमी केवल कल्पना में खोया है। वह केवल कल्पना के घोड़े दौड़ा रहा है। वह कर्म करने के लिए प्रेरित नही हो रहा बल्कि सपनों में ही खोया रहता है।

जहाँ सपने देखना कर्म करने के लिए प्रेरित करता है, वही सपने में खोए रहना कर्महीन बना देता है।

प्रश्न – ‘बूढी पृथ्वी का दुख’ कविता के आधार पर बताइए कि पेड़ क्या सपने देखते हैं?

उत्तर – ‘बूढी पृथ्वी का दुख’ कविता में यह बताया है की पेड़ भी डरा हुआ होता है। वह भी चीखता चिल्लाता है और बचाव के लिए लोगो को पुकारता है, पेड़ सपना देखता है की कोई चमकती हुई कुल्हाड़ियों से पेड़ को काट रहा है। कवयित्री निर्मला पुतुल ने लोगों का ध्यान पेड़-पौधों की ओर आकृष्ट किया है जो निर्ममतापूर्वक पेड़ काटते जा रहे हैं।

कवयित्री लोगों से यह जानना चाहती है कि क्या आपने कभी स्वप्न में चमकती हुई कुल्हाडियों के भय से काँपते हुए पेड़ों की चीख-पुकार को सुना है। पुन: कवयित्री लोगों से पूछती है, क्या आपने कभी यह अनुभव किया है कि जब कोई पेड़ काट रहा होता है, उस समय कुल्हाड़ी के प्रहार से आहत हजारों-हजार टहनियों को बचाओ-बचाओं की पुकार लगाते हुए सुना है। इतना ही नहीं, जब कोई पेड़ कटने के बाद धराशायी होता है, उस समय तुमने अपने अन्दर कभी थकान महसूस किया है।

प्रश्न – ‘बीती विभावरी जाग री’ कविता में कवि को क्यों लगता है कि सब को जाग जाना चाहिए?

उत्तर – ‘बीती विभावरी जाग री’ कविता में एक सखी को प्रात:काल होने पर जगा रही है किंतु अन्य अर्थ में कवि युवकों को देश की आज़ादी के लिए संघर्ष का आह्वान भी है |

प्रश्न – रहीम के अनुसार ‘अब दादुर वक्ता भए’ का क्या अर्थ है ?

उत्तर – वर्षा ऋतु को देखकर कोयल और रहीम के मन ने मौन साध लिया है। अब तो मेंढक ही बोलने वाले हैं। हमारी तो कोई बात ही नहीं पूछता। अभिप्राय यह है कि कुछ अवसर ऐसे आते हैं जब गुणवान को चुप रह जाना पड़ता है, उनका कोई आदर नहीं करता और गुणहीन वाचाल व्यक्तियों का ही बोलबाला हो जाता है।​

प्रश्न –  “इसे जगाओ’ कविता में सूरज, हवा और पक्षी के किन गुणों का उल्लेख किया गया है ?

उत्तर –  प्रकृति के इन तीन अंगों में एक बात समान लगती है। ये सही समय पर अपना काम करते आ रहे हैं। सूरज सही समय पर उगता है, वायु भी प्रातः चलना आरंभ कर देती है और पक्षी भी सवेरा होने पर बोलना प्रारंभ कर देते हैं।

सूरज प्रकाश और गर्मी प्रदान करता है। वायु शीतलता और श्वास के द्वारा जीवन देती है तथा पक्षी अपने मधुर कलरव से सबको जगाकर अपने कर्म में लगने की प्रेरणा देते हैं।

प्रश्न – विचारात्मक निबंधों की दो विशेषताएँ लिखिए ।

उत्तर –

  1. विचारात्मक निबंध लिखने के लिए चिंतन-मनन की अधिक आवश्यकता होती है। इनमें बुद्धि-तत्त्व प्रधान होता
  2. विचारात्मक निबंध में विषय के अच्छे-बुरे पहलुओं पर विचार किया जाता है, तर्क दिए जाते हैं तथा कभी-कभी समस्या को हल करने के सुझाव भी दिए जाते हैं।

प्रश्न –   ‘टके सेर भाजी टके सेर खाजा’ में निहित व्यंग्यार्थ को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – ‘टके सेर भाजी टके सेर खाजा’ में निहित व्यंग यह है की ‘अंधेर नगरी’ में मूल्यवान वस्तुएं टके सेर मिल रही हैं | यानी यहाँ गुणों का कोई सम्मान नही है, सभी वस्तुओं का भाव एक समान हैं | 

प्रश्न – प्राचीन काल में भारतीय नारियों की क्या दशा थी? भारत की कुछ बहादुर बेटियों के नामों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर – प्राचीनकाल में हमारे देश में नारी समाज की बहुत ही सम्माननीय सदस्य थी । गार्गी, मैत्रेयी, गौतमी, अपाला आदि प्राचीनकाल की प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित नारियाँ हैं। प्राचीनकाल से ही नारियाँ हमारे देश में पुरुष के बराबर बैठती रही हैं और समाज के निर्माण कार्यों में अपना योगदान देती रही हैं । भीकाजी कामा, सरोजिनी नायडू, अरुणा आसफ अली, कैप्टन लक्ष्मी सहगल आदि भारत की कुछ बहादुर बेटियां हैं |

प्रश्न – लेखिका ने गिल्लू को अपवाद क्यों बताया है?

उत्तर- लेखिका ने गिल्लू को अपवाद बताया है। वस्तुतः लेखिका के पास तो बहुत से पशु-पक्षी हैं। लेखिका का कहना है कि किसी को मेरे साथ मेरी थाली में खाने की हिम्मत नहीं हुई। गिल्लू इस बारे में अपवाद था। वह जैसे ही खाना खाने के कमरे में पहुँचती वह भी खिड़की से निकलकर आँगन की दीवार-बरामदा पार करके मेज पर पुहँच जाता। और मेरी थाली में बैठ जाता। बड़ी कठिनाई से लेखिका ने उसे थाली में बैठना सिखाया। थाली में बैठकर वह उसकी थाली से एक-एक चावल खाता।

प्रश्न – गिल्लू को देखकर सब विस्मित क्यों होने लगे?

उत्तर – गिल्लू की सिनग्ध रोएँ और झब्बेदार पूंछ दिखाई देने लगीं | चंचल, चमकीली आँखें लेखिका को विस्मित करने लगीं थी |

प्रश्न – “बिना प्रसव के माँ बन सकती है।” ‘रॉबर्ट नर्सिंग होम में’ यह वाक्य किसके लिए प्रयुक्त हुआ है |

उत्तर – बिना प्रसव के माँ बन सकती है।” यह वाक्य मदर टेरेसा के लिए प्रयुक्त हुआ है क्योंकि सारा संसार उन्हें अपनी माँ कहता था और मदर भी सबको अपना बच्चे समझती थीं ।

प्रश्न – “गिल्लू’ कहानी में लेखिका को पहली बार गिल्लू किस स्थिति में दिखाई दिया था?

उत्तर – लेखिका को गिल्लू पहली निश्चेष्ट (घायल) अवस्था में गमले की संधि में मिला था। उसके शरीर पर कौओं की चोंच के जख्म थे। लेखिका ने उसे उठाया और धैर्यपूर्वक उसके घावों को साफ किया और मरहम लगाया।

प्रश्न – साक्षात्कार (इंटरव्यू ) किसे कहते हैं? ‘अख़बार की दुनिया’ नामक पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – साक्षात्कार एक निश्चित उद्देश की पूर्वी ती के लिए आयोजित विचारू का आदान प्रदान हे साक्षात्कार चयन का प्रमुख साधन है साक्षात्कार की तकनीक मे साक्षात्कार लेने वाला तथा आवेदक आमने सामने बैठकर मौखिक विचार विमर्श करते है

प्रश्न – ‘अनौपचारिक पत्र’ के किन्हीं दो सम्बोधनों का उल्लेख कीजिए, जिनका प्रयोग आप अपने से बड़े लोगों के लिए करते हैं।

उत्तर – ‘अनौपचारिक पत्र’ के संबोधन

  1. आदरणीय चाचा जी / मामा जी / भाई साहब / दीदी / भाभी जी आदि।
  2. प्रिय भाई /मित्र आदि।

प्रश्न – बहादुर की माँ का स्वभाव कैसा था ?

उत्तर – माँ ही सारे परिवार का भरण-पोषण करती थी। वह गुस्सैल स्वभाव की थी। वह चाहती थी कि उसका बेटा घर के काम में हाथ बटाए, किंतु काम करने के नाम पर वह जंगलों में भाग जाता था, जिस कारण माँ उसे मारती थी।

प्रश्न – गिल्लू का प्रिय भोजन क्या था ?

उत्तर – गिल्लू का प्रिय खाद्य काजू था | इसे वह अपने दाँतों से पकड़ कर कुतर-कुतरकर खाता रहता था, और अगर गिल्लू को कई दिन तक काजू न मिले तो वह अन्य खाने की चीजें या तो लेना बन्द कर देता था या झूले के नीचे फेंक देता था।

प्रश्न – मदर के अनुसार हिटलर बुरा क्यों था ?

उत्तर –  हिटलर को मदर ने बुरा इसलिए कहा क्योंकि हिटलर ने लड़ाई छेड़ी थी, जिस के कारण मदर और क्रिस्ट हेल्ड दोनों का घर ढह गया था |

प्रश्न – अखबार के पहले पृष्ठ पर किस प्रकार के समाचार छपते हैं ?

उत्तर – अखबार के पहले पृष्ठ पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्त्व के समाचार छपते हैं

प्रश्न – फीचर में क्या होना अनिवार्य होता है ?

उत्तर – भावनात्मक संस्पर्श फीचर लेखन की अनिवार्यता है । पाठक केवल समाचार अथवा जानकारी से उतना प्रभावित नहीं होता, जितना मानवीय भाव-भावनाओं एवं संवेदनाओं की अभिव्यक्ति से होता है । किसी भी अच्छे फीचर को पढ़ने के बाद पाठक को किसी-न-किसी तरह का संतोष प्राप्त होता है जो मनोरंजन, जानकारी अथवा शिक्षा के रूप में हो सकता है ।

प्रश्न – बचेंद्रीपाल का पर्वतारोही बनने का संकल्प किस बात से मज़बूत हुआ ?

उत्तर – बचेंद्री के बड़े भाई को पहाड़ों पर |चढ़ना अच्छा लगता था, लेकिन जब बचेंद्री | उनके साथ पहाड़ पर जाने की बात करती | थीं, तो उन्हें डाँट कर मना कर दिया जाता | था। इससे बचेंद्री का मनोबल और बढ़ा और पहाड़ पर चढ़ने की इच्छा दृढ़ होती गई।

प्रश्न – लेखक ने मदर के स्वर की तुलना मिसरी के कूजे से क्यों की ?

उत्तर – लेखक ने मदर के स्वर की तुलना मिसरी के कूजे इसलिए की क्योंकि मिसरी का कूजा बड़ा और कठोर होता है, मीठा होते हुए भी। मदर भी जानती हैं कि सेवा की ज़रूरत किसे अधिक है, अन्य के प्रति उन्हें थोड़ा कठोर होना ही पड़ता है, पर यह कठोरता किसी के लिए मीठी साबित होती है।

प्रश्न – ‘शतरंज के खिलाड़ी’ कहानी में शतरंज कौन खेल रहे थे ?

उत्तर – ‘शतरंज के खिलाड़ी’ कहानी में  मिर्जा सज्जाद अली और मीर रौशन अली को शतरंज खेल रहे थे |

प्रश्न – ‘बहादुर’ कहानी में मध्यवर्गीय परिवार द्वारा नौकर रखना उनकी किस मानसिकता को दर्शाता है?

उत्तर – बहादुर’ कहानी में मध्य-वर्गीय मानसिकता की प्रस्तुति है | जैसे मध्यवर्गीय परिवार में नौकर रखना शान और शौकत समझा जाता है | इसमें दिखावा भी है | इसलिए निर्मला सुनाते हुए कहती है कि आधी तनख्वाह तो नौकर के रख रखाव में खर्च हो जाती है | इसी तरह लेखक के रिश्तेदार पैसे खाने का स्वांग रचकर बहादुर पर ही संदेह करते हैं | इससे स्पष्ट होता है कि बहादुर कहानी में मध्यवर्गीय मानसिकता पूरी तरह उभर कर आई है |

प्रश्न – बहादुर के चले जाने पर किन्हें अपनी गलतियों का अहसास सबसे अधिक होता है और क्यों?

उत्तर – ‘बहादुर’ के चले जाने पर लेखक व उसकी पत्नी निर्मला और उसके बेटे किशोर को अपनी गलतियों का अहसास सबसे अधिक हुआ क्योंकि इन्होने बहादुर को मारा पिटा और उस पर उनके रिश्तेदारों ने चोरी का इलज़ाम लगाया |

प्रश्न – आपके अनुसार गिल्लू को लेखिका ने क्यों अपवाद बताया है?

उत्तर – लेखिका ने गिल्लू को अपवाद बताया है। वस्तुतः लेखिका के पास तो बहुत से पशु-पक्षी हैं। लेखिका का कहना है कि किसी को मेरे साथ मेरी थाली में खाने की हिम्मत नहीं हुई। गिल्लू इस बारे में अपवाद था। वह जैसे ही खाना खाने के कमरे में पहुँचती वह भी खिड़की से निकलकर आँगन की दीवार-बरामदा पार करके मेज पर पुहँच जाता। और मेरी थाली में बैठ जाता। बड़ी कठिनाई से लेखिका ने उसे थाली मैं बैठना सिखाया। थाली में बैठकर वह उसकी थाली से एक-एक चावल खाता।

प्रश्न – लेखक राबर्ट नर्सिंग होम में क्यों गया? वह जाना उनके लिए यादगार क्यों बन गया?

उत्तर – लेखक अपने किसी परिचित के घर अतिथि बनकर पँहुच परंतु वह बीमार पद गया | परिणामत: उसे बीमार को रोबर्ट नर्सिंग होम में ले जाना पड़ा | यहीं पर उसने पहली बार मदर टेरेसा,क्रिस्ट हैल्ड को देखा | वह इन दोनों के रूप सौन्दर्य और मानव सेवा से इतना प्रभावित हुआ कि यहाँ जाना उसके लिए एक यादगार बन गया |

प्रश्न – आज के समय में सार लेखन की क्या उपयोगिता है?

उत्तर – अखबारों में जगह के हिसाब से समाचार-संपादक समाचारों का सार-लेखन करते हैं। ‘आकाशवाणी’ और ‘दूरदर्शन’ पर समय के हिसाब से यही काम किया जाता है। कई बार लेखों, यहाँ तक कि पुस्तकों तक का सार तैयार किया जाता है। सरकारी कार्यालयों में भी सहायक द्वारा पत्रों और कभी-कभी तो पूरी फ़ाइल का सार-लेखन किया जाता है।

प्रश्न – चीखते तड़पते रोगी को मदर मार्गरेट ‘कुछ नहीं, कुछ नहीं’ कहकर क्या समझाना चाहती थी?

उत्तर – चीखते तड़पते रोगी को मदर मार्गरेट ‘कुछ नहीं, कुछ नहीं’ कहकर यह समझाना चाहती है  कि अभी कष्ट है, फिर धीरे-धीरे कम हो जाएगा और थोड़े दिनों में बिल्कुल खत्म हो जाएगा। दुख या कष्ट अगर आया है तो थोड़ा-बहुत तो उसे सहना ही पड़ता है। सुख-दुख तो आते-जाते रहते हैं, हमें कष्ट के कारण निराश नहीं होना चाहिए। यहाँ पर एक आशय और भी है। आज सब कुछ है, कल थोड़ा कम है और फिर सबकुछ समाप्त । यही जीवन की नियति है, फिर छोटे-मोटे कष्टों से क्यों घबराना, हँसकर उनका सामना करना चाहिए।

प्रश्न – नाखून काटने से क्या होता है ? मनुष्य की बर्बरता घटी कहाँ है, वह तो बढ़ती जा रही है । – ‘नाखून क्यों बढ़ते हैं ?’ पाठ के आधार पर टिप्पणी कीजिए ।

उत्तर – मनुष्य के नाख़ून बार-बार बड़ते है और उसे पशुता की याद दिलाते हैं | लेखक कहता है की मनुष्य पहले नाखुन का प्रयोग अपनी रक्षा के लिए करता था नाख़ून ही उसका अस्त्र – शस्त्र था | मनुष्य की पशुता गयी कहाँ है वह तो बढ़ती ही जा रही है मनुष्य अब बड़े-बड़े अस्त्र-शास्त्र बना रहा है बमो का प्रयोग कर रहा है 1945 का हत्याकांड देख लो जिसमे परमाणु बमो को जपान पर गिराया गया था |

प्रश्न – ज्ञानेन्द्रियों से क्या तात्पर्य है ? इनके नाम बताइए ।

उत्तर –  ज्ञानेन्द्रियाँ मनुष्य के वे अंग है जो देखने, सुनने, महसूस करने, स्वाद-ताप-रंग अदि का पता लगाते हैं। मानव शरीर में त्वचा, आँख, कान, नाक और जिव्हा आदि पाँच प्रकार की ज्ञानेन्द्रियाँ होती है। त्वचा महसूस करने का, आँखे देखने का, कान सुनने का, नाक गंध का पता लगाने का और जिह्वा स्वाद को परखने का काम करती है।

प्रश्न – ‘गिल्लू’ पाठ में लेखिका को क्यों लगता है कि उस सुनहरी कली के रूप में गिल्लू ही उन्हें चौंकाने के लिए आया है ?

उत्तर –गिल्लू की याद सोनजुही से जुड़ी है, क्योंकि वह छोटा-सा जीव उसी की छाया में बैठा करता था और नज़दीक आते ही लेखिका के कंधे पर कूद कर उसे चौंका देता था। लेखिका गिल्लू की स्मृति में खो जाती है। उसे लगता है कि उस सुनहरी कली के रूप में वह लघुप्राण (गिल्लू) ही उन्हें चौंकाने के लिए आया है ।

प्रश्न – लेखक ने राजकुमार को सुखी राजकुमार क्यों कहा?

उत्तर – राजकुमार का नाम सुखी इसलिए था क्यूंकि वह वास्तव में सुखी था जो आनंद – महल में रहता था। जो कभी किसी दुख का सामना नहीं किया। वह कभी किसी का दुख नहीं देखा।

प्रश्न – पत्र-लेखन को कला क्यों कहा जाता है? आपके विचार में पत्र की क्या विशेषता होती है?

उत्तर – पत्र लेखन एक ऐसी कला है, जिसके माध्यम से दो व्यक्ति या दो व्यापारी जो एक दुसरे से काफी दूरी पर स्थित हो, परस्पर एक दूसरे को विभिन्न कार्यों अथवा सूचनाओं के लिए पत्र लिखते है। पत्र लेखन का कार्य पारिवारिक जीवन से लेकर व्यापारिक जगत तक प्रयोग में लाया जाता है।

पत्र में निम्नलिखित विशेषताएं होनी चाहिए-

  1. संक्षिप्तताः पत्र ऐसा होना चाहिए जिसमें केवल आवश्यक बातों का ही उल्लेख हो। अनावश्यक बातें पत्र को बोझिल बना देती है। इसलिए संक्षिप्त शब्दों में ही अपनी बात कही जानी चाहिए तथा अनावश्यक और अर्थहीन शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए। यही पत्र की संक्षिप्तता है।
  2. सरलताः संक्षिप्तता के साथ-साथ सरल और सुबोध होना चाहिए। सरलता से तात्पर्य भाषा की सरलता से है पत्र की भाषा ऐसी हो कि पत्र पढ़ने वाला लिखी हुई बात को अच्छी तरह समझ जाए। ऐसी भाषा शब्द का प्रयोग नहीं करना चाहिए कि पत्र पढ़ने वाले को लिखी गई बात समझने में कठिनाई हो। वाक्य भी सरल और छोटे हों तथा उनका क्रम भी निश्चित हो।
  3. सहजताः सहजता का अर्थ है- स्वाभाविकता अर्थात् पत्र लिखते समय किसी भी तरह की बनावटी या कृत्रिम शब्दावली का प्रयोग नहीं होना चाहिए। जैसे आपकी वार्तालाप की शैली होती है वैसी ही शैली पत्र में भी प्रयोग की जानी चाहिए।
  4. प्रभावशीलताः पत्र की भाषा प्रभावशाली होनी चाहिए। पत्र लिखते समय प्रयोग की जाने वाली शब्दावली ऐसी हो कि प्राप्तकर्ता के सामने लिखी गई बात या घटना का पूरा चित्र आ जाए।

प्रश्न – “अंधेर नगरी’ के आधार पर गोबरधन दास का चरित्र-चित्रण कीजिए ।

उत्तर – गोबरधन दास का चरित्र-चित्रण-

लोभ-प्रवृत्ति : गोवर्धनदास लालाची और लोभी प्रवृत्ति का साधु है। सच्चा साधु लोभ-प्रवृत्ति में नहीं पड़ता जबकि ढोंगी साधु लोभ ही करता है। महन्त जी उसे भिक्षा लाने के लिए कहते हैं ताकि शालिग्राम जी का बाल भोग सिद्ध हो सके लेकिन वह अधिक से भीख पाना चाहता है ताकि वह अच्छा खा सके । वह स्पष्ट शब्दों में कहता है, “गुरु जी मैं बहुत-सी भिक्षा लाता हूं। यहां के लोग तो बड़े मालदार दिखाई पड़ते हैं। आप कुछ चिन्ता मत कीजिए।” महन्त जी के द्वारा लालच न करने का उपदेश देने पर भी वह भीख में सात पैसे इकट्ठे करता है और उससे साढ़े तीन सेर मिठाई खरीदता है, खाता है ओर अपनी लालची प्रवृत्ति प्रकट करता है |

अविश्वासी : गोवर्धन दास स्वभाव का अविश्वासी और अस्थिर है। बाज़ार में सामान बेचने वाले सभी गला फाड़-फाड़ कर चिल्ला रहे थे कि हर सामान टके सेर है लेकिन फिर भी उसे विश्वास नहीं होता कि वह ठीक कह रहे हैं इसलिए वह बनिया, कुंजड़िन, हलवाई आदि सब के पास जाकर पूछता है कि क्या वास्तव में ही सब चीजें टके सेर की बिक रही हैं ?

जिह्वा-लोलूप : गोवर्धन दास पेटू है। उसे सिवाय खाने और जीवन में सुख उपभोग के कुछ नहीं सूझता। ऐसा लगता है कि जैसे उसका जीवन केवल खाने के लिए ही हुआ है। इसीलिए वह मिठाई खाते हुए प्रसन्नता में भर कर गाता है और बगल बजाता है। जब महन्त जी ने उसे वह स्थान छोड़ देने के लिए कहा था तो उसने ऐसा करने से मना कर दिया था। वह वहीं रहना चाहता था जहां उसे बिना परिश्रम किए हुए हर रोज खाने को मिठाई मिले |

प्रश्न – ‘बहादुर’ कहानी के आधार पर बहादुर के चरित्र की दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए ।

उत्तर –  बहादुर की चरित्र विशेषता –

  1. हसमुख  – बहादुर हर समय हँसते रहने वाला लड़का है। वह किसी भी बात कहकर अपनी नैसर्गिक, स्वाभाविक हँसी जरूर हँसता है, जो सामने देखने सुनने वालों के हृदय को । झंकृत कर देती हैं। वह सभी लोगों के प्रश्नों का उत्तर बड़े ही मीठे स्वर में हँसकर देता है।
  2. ईमानदार एवं सच्चा हृदय – गरीब होने के बावजूद भी बहादुर अत्यधिक ईमानदार बालक है, जिसे बेईमानी हूँ तक नहीं पाई है। उसके मन में कोई लालच नहीं है। घर में कहीं गिरे या पड़े पैसों को वह निर्मला के हाथों में रख देता है। वह घर छोड़कर जाते समय भी अपना सामान तक नहीं ले जाती हैं।
  3. सहनशील एवं स्वाभिमानी – बहादुर बड़ा ही सहनशील बालक है। वह घर के सारे काम करने के बावजूद निर्मला की झाँट खाता रहता है। किशोर द्वारा भी कई बार बदतमीज़ियाँ की जाती हैं, जिन्हें वह थोड़ी देर में ही भूल जाता है और अपने काम में पूर्ववत् लग जाता है। एक बार किशोर द्वारा उसके पिता से सम्बन्धित गाली देने पर उसका स्वाभिमान जाग जाता है। वह किशोर का काम करने से इनकार कर देता है।

प्रश्न – साक्षात्कार किसे कहते हैं? ‘अखबार की दुनिया’ पाठ के आधार पर बताइए ।

उत्तर – दो या दो से अधिक व्यक्तियों द्वारा किसी विशेष उद्देश्य से आमने-सामने की गयी बातचीत को साक्षात्कार कहा जाता है। साक्षात्कार एक प्रकार की मौखिक प्रश्नावली है जिसमें हम किसी भी व्यक्ति के विचारों और प्रतिक्रियाओं को लिखने के बजाय उसके सम्मुख रहकर बातचीत करके प्राप्त करते हैं।

प्रश्न – अखबारों में समाचार के साथ प्रकाशित होने वाली फोटो का क्या महत्व है ?

उत्तर – अखबारों में समाचार के साथ प्रकाशित होने वाली फोटो का बड़ा महत्व हैं क्योंकि फोटो अखबार पड़ने की जिज्ञासा को बड़ा देती है और फोटो घटना वाले स्थान से संबंधित हो तो उससे हमारी जिज्ञासा भी शांत हो जाती है | फोटो के निचे लिखा कैप्शन समाचार से अधिक प्रभाव डालती है |

प्रश्न – ‘नाखून क्यों बढ़ते हैं?’ इस पाठ के आधार पर बताइए कि शस्त्रों की बढ़त को रोकना क्यों आवश्यक है?

उत्तर –   शास्त्रों की बढ़त को रोकना इसलिए आवश्यक है क्योंकि मनुष्य दिन-प्रति-दिन और घटक शस्त्रों व बमों का आविष्कार  कर रहा है | जिसके कारण उसके अंदर की पशुता कभी मर ही नही रही है | मनुष्य पहले अपने बचाव के लिए  अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण करता था तथा अपनी रक्षा करता है परंतु आधुनिक युग में रक्षा के लिए शस्त्रों का निर्माण नही हो रहा बल्कि अपनी शक्ति व वर्चस्व को दिखाने के लिए इतने बड़े-बड़े बमों व शस्त्रों का निर्माण कर रहे हैं | 

प्रश्न – ‘अंधेर नगरी’ में गोबरधनदास को पकड़कर ले जाया गया पर फाँसी क्यों नहीं दी गई?

उत्तर – जब गोवर्धनदास को फांसी पर चढ़ाया जानेवाला था, तभी उसके गुरु महंतजी वहां पहुंच गए। गुरु ने शिष्य के कान में कुछ कहा और फिर गरु-शिष्य फांसी पर चढ़ने के लिए आपस में हुज्जत करने लगे। इससे सिपाही चकित हो गए। राजा, मंत्री और कोतवाल भी वहां पहुंच गए। पूछने पर महंत ने बताया कि उस मुहूर्त में फांसी पर चढ़नेवाला सीधा स्वर्ग जाएगा। स्वर्ग के लालच में चौपट राजा खुद फांसी पर चढ़ गया। इस प्रकार गोवर्धनदास की जान बचाने में महंत सफल हो गए।

प्रश्न – ‘सुखी राजकुमार’ कहानी के अन्त में ईश्वर के कहने पर देवदूत कौन-सी दो वस्तुएँ नगर से ले गए?

उत्तर – ईश्वर ने देवदूत से पृथ्वी से एक जस्ते का दिल और दूसरी मरी हुई चिड़िया को ले गए |

प्रश्न – ‘रॉबर्ट नर्सिंग होम में’ लेखक ने अपने मन में ऐसा क्यों सोचा कि “हम भारतवासी गीता को कंठ में रखकर धनी हुए, पर तुम उसे जीवन में ले कृतार्थ हुईं”। प्रस्तुत पंक्ति का भाव भी स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – श्रीमद्भगत गीता में कर्म का उपदेश दिया गया है। भारतवासियों को गीता तो ज़रूर याद होगी पर वे इसके कर्म करने के उपदेश पर अमल नहीं करते। हम भारतीय इसलिए भी गर्व करते हैं कि यह भारतीय ग्रंथ है। पर हम गीता के उपदेशों पर अमल नहीं करते। इसमें हम पिछड़ गए हैं। इस अर्थ में क्रिस्ट हैल्ड गीता का सच्चे अर्थों में पालन कर रही थी। उसने गीता को अपने जीवन में उतारा। जीवन में कर्म के ज्ञान का ही महत्त्व है। उसमें जीने की कला है। इसलिए लेखक का कहना महत्त्वपूर्ण है कि भारतीय गीता को कंठस्थ करने में ही गौरव समझते हैं जबकि क्रिस्ट उसे अपने जीवन में उतार लिया है। इसलिए वह धन्य हो गई।

प्रश्न – ‘शतरंज के खिलाड़ी’ के उद्देश्य का विवेचन संक्षेप में कीजिए ।

उत्तर – ‘शतरंज के खिलाड़ी’ एक उद्देश्यप्रधान कहानी है। शतरंज का खेल बुद्धिमानी का खेल है। हर आदमी के वश का यह खेल नहीं है। जैसे युद्ध के मैदान में दुश्मन को हराने के लिए वीर को बुद्धि का इस्तेमाल करना पड़ता है कि किस उपाय से मैं इस वीर को मारूँ। उसी तरह शतरंज में खिलाड़ी बुद्धि का उपयोग करता है कि किस तरह से मैं अपने राजा और वजीर को बचाकर ले जाऊँ, दूसरे राजा के आक्रमण को रोकूँ।

प्रेमचंद इस कहानी के जरिए बताना चाहते हैं कि मीर और मिरजा जैसे लोग अगर अपना दिमाग देश को गुलामी से बचाने में लगाते तो आज देश पराध न नहीं होता। वे इस कहानी के जरिए यह भी सीख देना चाहते हैं कि देश और स्वाध नता के हित के लिए हमें आराम और भोग-विलास छोड़ देना चाहिए और अपनी जिम्मेदारियों को समझना चाहिए। इस प्रकार इस कहानी के माध्यम से प्रेमचंद ने उन स्थितियों से पाठकों का परिचय कराया है जिनके कारण देश पराधीन हो जाता

प्रश्न – रक्त में श्वेत कणिकाओं के कार्य बताइए ।

उत्तर – श्वेत रक्त कणिका हमारे शरीर में एक सैनिक की तरह कार्य करती हैं अर्थात श्वेत रक्त कणिका बाहर से आए हुए बैक्टीरिया को मारने का कार्य करती हैं | शरीर में प्रवेश करने वाले हानिकारक सुक्ष्म जीवो से लड़ती है , शरीर के प्रतिरक्षातंत्र को मजबूत बनाती है। कुल मिलाकर बीमारियों से बचाती है।

प्रश्न – बसेंद्रीपाल की तीन विशेषताएँ लिखिए ।

उत्तर – बछेन्द्री पाल माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचने वाली पहली भारतीय महिला थीं। उनका जन्म 24 मई 1954 को हुआ था। वह वर्ष 1984 में माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला थीं।

  • वह स्वतंत्र, निर्भीक और साहसी महिला थीं।
  • वह वर्ष 1984 में माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला थीं।
  • वह गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था।
  • उन्होंने पद्मश्री और अर्जुन पुरस्कार सहित कई पुरस्कार जीते।

प्रश्न – ‘अंधेर नगरी’ की रंगमंचीयता पर प्रकाश डालिए ।

उत्तर – ‘अंधेर नगरी’ में कुल छः दृश्य हैं। इसके सारे दृश्य नाटकीय तनाव को सुरक्षित रखते हैं। घटनाएँ पात्रों के क्रिया-व्यापार से सृजित होती हैं, इसलिए अस्वाभाविक- सी लगने वाली कथा स्वाभाविक लगती है। नाटककार ‘बाजार’ का दृश्य न देकर सीधे यह सूचित कर सकता था कि गोबरधन दास बाजार  में पहुँच चुका है, लेकिन इससे दर्शक के मानस पर वह असर नहीं होता जो कि बाजार को विस्तार में अंकित करने से हुआ है। इस पूरे प्रहसन में दो प्रसंग ऐसे हैं जहाँ भाषिक संवाद और क्रिया-व्यापार में प्रत्यक्ष सम्बन्ध स्थापित नहीं होता है, जैसे- कोतवाल की गर्दन फाँसी के फंदे के लिए दुबली पड़ गई, इसकी जानकारी क्रिया-व्यापार से नहीं, बल्कि सिपाहियों के संवादों से मिलती है।

इसी तरह गोबरधनदास को जब सिपाही खींचकर फाँसी पर चढ़ाने के लिए ले जा रहे होते हैं तो गुरू जी उसे अंतिम उपदेश देने के लिए सिपाहियों से अलग ले जाते हैं और कान में उपदेश देते हैं। यह उपदेश श्रव्य नहीं है और शायद यही वजह है कि उत्सुकता जगाने में नाटक को अधिक कामयाबी मिलती है। इनकी सहायता से नाटकीय आवेग को बनाए रखने में सुविधा होती है। यह भारतेन्दु की रंगमंचीय सूझ है, अन्यथा इनकी जगह पर अन्य बैकल्पिक दृश्यों को रखने से नाटकीय आवेग में बिखराव आ जाता।

प्रश्न – ‘बहादुर’ कहानी के आधार पर बहादुर और किशोर के व्यवहार में अंतर के कारणों का विश्लेषण कीजिए ।

उत्तर – बहादुर तथा किशोर एक ही आयु वर्ग है लेकिन इनके वातावरण, सामाजिक परिस्थिति, आर्थिक स्थिति, पारिवारिक स्थिति आदि के कारण व्यवहार में अंतर था | किशोर मध्यमवर्गीय परिवार से संबंध रखता है और उसका का व्यवहार शान शौकत और रौब से रहने वाला था, बहादुर को अपने नियमों के अनुसार कार्य करवाना चाहता था और काम नहीं होने पर उसे गालियां और डांट फटकार के साथ कभी-कभी मार पीट भी करता था जबकि इसके विरुद्ध बहादुर निम्न वर्ग से तालुकात रखता है । बहादुर का व्यवहार स्वाभिमान व ईमानदारी से भरा हुआ था तथा वह संवेदनशील भी था ।

प्रश्न – ‘भारत की ये बहादुर बेटियाँ’ पाठ के आधार पर बताइए कि ‘कोलंबिया मिशन’ के लिए कल्पना को क्यों चुना गया और वे कितनी बार अभियान-दल में शामिल हुईं?

उत्तर – अंतरिक्ष यात्रा के कोलंबिया मिशन के लिए कल्पना चावला का चुनाव किया गया क्योंकि 2962 विज्ञानियों में सर्वाधिक योग्य पाई गईं और 19 को पहली बार अंतरिक्ष यात्रा के लिए निकल पड़ी | और दूसरी बार 16 जनवरी 2003 को एक बार फिर कनेड़ी अंतरिक्ष केंद्र से यात्रा पर रावण हुई |

प्रश्न 13 – निर्देशानुसार उत्तर दीजिए :

(i) सन्धि विच्छेद कीजिए:

स्वागत, देवेन्द्र

उत्तर – स्वागत – सु+आगत, देव + इन्द्र

(ii) विग्रह करते हुए समास का नाम लिखिए:

दशानन अथवा नर नारी

उत्तर – दश मुख वाला = रावण ( बहुव्रीहि समास )

नर नारी = नर और नारी ( द्वंद समास )

(iii) ‘अभि’ उपसर्ग से दो शब्द बनाइए ।

उत्तर – अभिमान, अभिभावक

(iv) हरि समाचार पत्र पढ़ता है । (कर्ताकारक छाँटिए ।)

उत्तर – हरि कर्ता है

(v) मैं बाजार गया और फल सब्जी खरीद लाया । (सरल वाक्य में बदलिए ।)

उत्तर –  मै बाज़ार से फल, सब्जी खरीद ले आया

(vi) आकाश पाताल एक करना, अंग अंग मुस्कराना – किसी एक मुहावरे का वाक्य प्रयोग कीजिए।

उत्तर –

  • आकाश पाताल एक करना सूरज ने इंजीनियर पास करने के लिए आकाश-पाताल एक कर दिया।
  • अंग अंग मुस्कराना – जब मोहन परीक्षा में प्रथम आया तो उसका अंग-अंग मुसकाने गला।

(vii) ‘वह छत पर से गिर गया । (वाक्य को शुद्ध रूप में लिखिए ।)

उत्तर – बच्चा छत से गिर गया।

(viii) विलोम शब्द लिखिए:

कृतज्ञ, पाप

उत्तर – कृतज्ञ  – कृतघ्न, पाप – पुण्य, निष्पाप

(xi) ‘आऊ’ प्रत्यय से दो शब्द बनाइए ।

उत्तर – बन+आऊ = बनाऊ, पक + आऊ=पकाऊ

प्रश्न – अपने क्षेत्र में मलेरिया फैलने की संभावना को देखते हुए स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखिए ।

उत्तर –

सेवा में, स्वास्थ्य अधिकारी,

दिल्ली नगर निगम

सुभाष नगर

विषय- मच्छरों का बढ़ता हुआ प्रकोप

महोदय, 

मैं आपका ध्यान बढ़ते हुए मच्छरों के प्रकोप की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। मैं सुभाष नगर क्षेत्र का निवासी हूँ। पूरे सुभाष नगर क्षेत्र में आजकल मच्छरों का भयंकर आतंक छाया हुआ है। दिन हो यो रात, मच्छरों के झंड सदा घूमते नज़र आ जाते हैं। रात को तो वे सोना दूभर कर देते हैं। जब सुबह उठते हैं। तो बच्चों के मुंह लाल-लाल दानों से भरे होते हैं। मच्छरों के कारण घर-घर में मलेरिया फैला हुआ है। प्रायः सभी घरों में कोई-न-कोई मलेरिया का रोगी मिल जाएगा। इन मच्छरों के कारण स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ा है।

हमारे क्षेत्र में मच्छरों की अधिकता का बड़ा कारण है-पानी के जमे हुए तालाब और गली-मुहल्लों में फैली चौड़ी-चौड़ी खुली नालियाँ। उन कच्ची नालियों को व्यवस्थित करने की कोई व्यवस्था नहीं हुई है। मुहल्ले के जमादार सफाई की ओर ध्यान नहीं देते, इसलिए नालियों में सदा मल जमा पड़ा रहता है। लोग अपने घरों के गन्दे जल को बाहर यूं ही बिखरा देते हैं, जिससे मार्गों के गड्ढे भर जाते हैं। हमने कई बार निवेदन किया है कि हमारे क्षेत्र के तालाब को भरवा दिया जाए, जिससे मच्छरों का मुख्य अड्डा समाप्त हो जाए, किन्तु इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया गया।

इस बार अत्यधिक वर्षा के कारण जगह-जगह जल का जमाव हो गया है। सभी जगह कीचड़, मल और बदबूदार जल का प्रकोप है। अत: मैं पुनः सुभाष नगर के निवासियों की ओर से आपसे अनुरोध करता हूँ कि मच्छरों को समाप्त करने के लिए सार्वजनिक रूप से क्षेत्र में मच्छरनाशक दवाई छिड़कवाने की व्यवस्था की जाए। मलेरिया से बचने के लिए कुनीन बाँटने तथा पूरे क्षेत्र की सफाई के व्यापक प्रबन्ध किये जाएँ। आशा है आप शीघ्र कार्यवाही करेंगे।

धन्यवाद सहित।

भवदीय

का,ख,ग

मंत्री मुहल्ला

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