NIOS Class 12th Political Science (317) Most Important & Answers

प्रश्न राज्य किसे कहते हैं? संक्षेप में राज्य के घटकों का उल्लेख कीजिए।

राज्य किसे कहते हैं? -राज्य उस संगठित इकाई को कहते हैं जो एक शासन (सरकार) के अधीन हो। राज्य संप्रभुतासम्पन्न हो सकते हैं। इसके अलावा किसी शासकीय इकाई या उसके किसी प्रभाग को भी राज्य कहते हैं, जैसे भारत के प्रदेशों को भी राज्य कहते हैं।

प्रश्न राज्य के घटक हैं:

लोग: एक राज्य में रहने वाले लोग अपनी भाषा, अपने धर्म और सामाजिक वर्ग से जुड़े होते हैं।

क्षेत्र: राज्य की अर्थव्यवस्था और वित्तीय संसाधन भूमि की भौगोलिक संरचना और जलवायु, उपलब्ध संसाधनों आदि पर निर्भर करते हैं।

सरकार: सरकार लोगों द्वारा चुनी जाती है और वे लोगों की भलाई के लिए प्रशासन का प्रतिनिधित्व करती हैं।

➛ संप्रभुता: एक स्वतंत्र राज्य की कानूनी क्षमता और बाहरी हस्तक्षेप के बिना अपने राजनीतिक मामलों को नियंत्रित करने और नियंत्रित करने की जिम्मेदारी को संदर्भित करती है।

What is the State? Briefly explain the elements of the State.

A state can be defined as the region which is controlled by a local government chosen by the people of the state. The state is a sovereign one and its sovereignty is controlled by the rules and regulations the state government makes.

The elements of the state are:

People: the people living in a state are connected by the language they speak, by their religion and by the social class.

➛The Territory: The state’s economy and financial resources depends on the geographical structure of the land and the climate, the resources available etc.

Government: The government is chosen by the people and they represent the administration for the good of the people.

➛ Sovereignty: refers to an independent state’s legal capacity and responsibility to rule and control its political affairs without external interference.

प्रश्न मार्क्सवाद की प्रमुख विशेषताएं

मार्क्सवाद पूंजीवाद के विरूद्ध एक प्रतिक्रिया है।

मार्क्सवाद पूंजीवादी व्यवस्था को समाप्त करने के लिये हिंसात्मक साधनो का प्रयागे करता है।

मार्क्सवाद प्रजातांत्रीय संस्था को पूंजीपतियो की संस्था मानते है जो उनके हित के लिये और श्रमिको के शोषण के लिए बना गयी है।

मार्क्सवाद धर्म विरोधी भी है तथा धर्म को मानव जाति के लिये अफीम कहा है। जिसके नशे में लागे उंघते रहते हे।

मार्क्सवाद अन्तरार्ष्टी्रय साम्यवाद मे विश्वास करते हे।

समाज या राज्य में शाषको और शोषितों में पूंजीपतियों और श्रमिकोद्ध में वर्ग संघर्ष अनिवार्य है।

मार्क्सवाद अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत द्वारा पूंजीवाद के जन्म को स्पष्ट करता हे।

Highlights of Marxism

Marxism is a reaction against capitalism.

Marxism uses violent means to end the capitalist system.

Marxism considers the democratic institution to be the institution of the capitalists, which has been made for their benefit and for the exploitation of the workers.

Marxism is also anti-religion and has called religion the opium of mankind. Whose drunkenness keeps on sleeping.

Marxism believes in International Communism.

Class struggle is inevitable between the rulers in the society or the state and the capitalists and workers among the exploited.

Marxism explains the birth of capitalism through the theory of surplus value.

प्रश्न मार्क्सवाद के प्रमुख सिद्धांत

द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद का सिद्धांत

इतिहास की आर्थिक भौतिकवादी व्याख्या

वर्ग संघर्ष का सिद्धांत

अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत

सर्वहारा वर्ग का अधिनायकवाद

वर्ग विहीन व राज्य विहीन समाज

Major Principles of Marxism

Theory of Dialectical Materialism

Economic materialist interpretation of history

Theory of Class Struggle

Theory of Addition Value

Totalitarianism of the Proletariat

Classless and stateless society

प्रश्न द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद की आलोचना 

मार्क्स द्वारा प्रतिपादित दर्शन का आधार द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद है किन्तु इसने इतने महत्वपूर्ण सिद्धांत का कहीं भी विस्तृत रूप से वर्णन नही किया। 

मार्क्स ने हीगल के आध्यात्मवाद के स्थान पर भौतिकवाद का समर्थन किया है। 

मार्क्स का मानना है कि समाज की प्रगति के लिए संघर्ष व क्रांति का होना अनिवार्य है। किन्तु यह सत्य है कि शांतिकाल में ही समाज की प्रगति तीव्र गति से होती है। 

Criticism of dialectical materialism

The basis of the philosophy propounded by Marx is dialectical materialism, but it did not describe such an important principle in detail anywhere.

Marx has supported materialism in place of Hegel’s spiritualism.

Marx believes that struggle and revolution are necessary for the progress of society. But it is true that the progress of society takes place at a rapid pace only in peace time.

प्रश्न गांधीजी की रामराज्य की अवधारणा क्या थी?

गांधीजी के रामराज्य के युगल सिद्धांत सत्य और अहिंसा में निहित हैं। गांधीजी सत्य एवं अहिंसा दोनों को ही किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति में महत्वपूर्ण मानते थे। सत्य एवं अहिंसा समाज में भेदभाव को समाप्त करते हैं। भेदभाव जैसी कुरीति के दूर होते ही समाज रामराज्य जैसी अवधारणा की ओर आगे बढ़ता है। रामराज्य की स्थापना का उद्देश्य ही समाज को सभी प्रकार की कुरीतियों, कष्टों व आर्थिक कमजोरियों से निजात दिलाकर आत्मनिर्भरता की प्राप्ति है।

What was Gandhiji’s concept of Ramrajya?

 The twin principles of Gandhiji’s Ram Rajya are rooted in truth and non-violence. Gandhiji considered both truth and non-violence to be important in achieving any goal. Truth and non-violence eliminate discrimination in the society. As soon as the evil like discrimination is removed, the society moves towards the concept of Ram Rajya. The aim of the establishment of Ram Rajya is the attainment of self-reliance by freeing the society from all kinds of evils, sufferings and economic weaknesses.

प्रश्न छ: मौलिक अधिकार कौन – कौन से  हैं |

 6 मूल अधिकार इस प्रकार हैं-

1. समता या समानता का अधिकार

2. स्वतंत्रता का अधिकार

3. शोषण के विरुद्ध अधिकार

4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार

5. संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार

6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार

What are the six fundamental rights:-

The Fundamental Rights are: –

1. Right to Equality

2. Right to Freedom

3. Right against Exploitation

4. Right to Freedom of Religion

5. Cultural and Educational Rights, and

6. Right to Constitutional Remedies.

प्रश्न छः मौलिक स्वतंत्रताएँ

संविधान, निम्नलिखित छ: मौलिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है:

1. भाषण तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।

2. बिना हथियार, शांतिपूर्ण ढंग से जुलूस निकालने की स्वतंत्रता।

3. संघ और संगठन बनाने की स्वतंत्रता ।

4. भारत में कहीं भी स्वतंत्र रूप से जाने की स्वतंत्रता ।

5. भारत के किसी भी भाग में रहने एवं जीविकोपार्जन की स्वतंत्रता।

6. किसी भी कार्य, व्यापार, व्यवसाय, नौकरी करने की स्वतंत्रता ।

Six Fundamental Freedoms

The Constitution guarantees the following six Fundamental Freedoms:

1. Freedom of speech and expression.

2. Freedom to assemble peacefully without arms.

3. Freedom to form associations or unions.

4. Freedom to move freely throughout the territory of India.

5. Freedom to reside and settle in any part of the territory of India.

6. Freedom to practise any profession or to carry on any occupation, trade or business.

प्रश्न शोषण के विरुद्ध अधिकार का वर्णन कीजिए।

वास्तव में शोषण के विरुद्ध अधिकार का उद्देश्य एक वास्तविक सामजिक लोकतंत्र की स्थापना करना है. शोषण के विरुद्ध अधिकार (Right Against Exploitation) को वास्तविकता का रूप देने के लिए ही जुलाई 1975 में घोषित किया गया कि “बंधक मजदूरी प्रथा, जहाँ भी कहीं हो, गैरकानूनी घोषित कर दी जाएगी.”

1997 में सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को 6अह में बाल मजदूरी ख़त्म करने का निर्देश दिया था और “बाल पुनर्स्थापना कल्याण कोष” की भी स्थापनी की. इस प्रकार बाल मजदूरी समाप्त करने की दिशा में कुछ प्रयत्न किये गए हैं, लेकिन तथ्य यह है कि बाल मजदूरी की स्थिति अभी भी बनी हुई है. वस्तुतः बंधक मजदूरी हो या बाल मजदूरी; इन स्थितियों को जन्म देने वाले सामाजिक-आर्थिक कारणों को समाप्त किये बिना इन्हें समाप्त नहीं किया जा सकता.

Describe the right against exploitation.

In fact the object of the Right against Exploitation is to establish a true social democracy. In order to give reality to the Right Against Exploitation, it was declared in July 1975 that “the system of hostage labor, wherever it may be, shall be outlawed.”

In 1997, the Supreme Court had directed the government to end child labor in 6A and also established the “Child Restoration Welfare Fund”. Thus, some efforts have been made in the direction of ending child labor, but the fact remains that the situation of child labor still persists. In fact, hostage labor or child labor; They cannot be eliminated without eliminating the socio-economic factors that give rise to these conditions.

प्रश्न भारतीय संघवाद की विशेषताएं

लिखित संविधान

कठोर संविधान

शक्तियों का विभाजन

द्वैध शासन प्रणाली

संविधान की सर्वोच्चता

उच्चतम न्यायालय की विशेष स्थिति

Features of Indian Federalism

Written Constitution

Rigid Constitution

Division of Powers

Diarchy system

Supremacy of the Constitution

Special Status of Supreme Court

प्रश्न भारतीय संविधान के एकात्मक लक्षणों को स्पष्ट कीजिए ।

भारतीय संविधान की बहुत सारी विशेषताएं हैं. जिसमे से एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है एकात्मकता की ओर झुका होना मतलब की केन्द्राभिमुख होना. संघात्मक होते हुए भी भारतीय संविधान के एकात्मक लक्षण परिलक्षित होते है.

भारतीय संविधान राज्यों का एक संघ होगा. ये भारत के संविधान के अनुच्छेद-1 में कहा गया है. जिसके तहत् संघात्मकता के लक्षण जैसे: संविधान की सर्वोच्चता, शक्तियों का विकेन्द्रीयकरण (विभाजन), स्वतंत्र न्यायपालिका इत्यादि गुण मौजूद होने के बावजूद भी कुछ विशेषताएं ऐसी हैं जो इसे एकात्म की प्रवृत्ति प्रदान करती है.

प्रश्न भारतीय संविधान के एकात्मक लक्षण:

इकहरी (एकल) नागरिकता, नये राज्यों के निर्माण संबंधी शक्ति संसद के पास होना,अखिल भारतीय सेवाओं में केंद्र का एकाधिकार,राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा,राज्य सूची पर केन्द्र की विधि बनाने की शक्ति का होना, आपात कालीन उपबन्ध इत्यादि.

ये शक्तियां इसे एकात्मक लक्षण की ओर ले जाते हैं. परन्तु संघात्मक लक्षण होते हुए भी एकात्मक होने का सबसे बड़ा कारण देशहित का होना है. क्योंकि भारत की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करना हमारे भारतीय संविधान का मुख्य उद्देश्य है. इसलिए भारतीय संविधान संघात्मक होते हुए भी एकात्मकता के गुण को धारण किये हुए है.

Discuss the unitary feature of the Constitution of India.

There are many features of the Indian Constitution. One of the important features is to be inclined towards unity, which means to be centripetal. Despite being federal, the unitary features of the Indian Constitution are reflected.

The Indian Constitution would be a union of states. This is stated in Article 1 of the Constitution of India. Under which the characteristics of federalism such as: supremacy of the constitution, decentralization of powers (division), independent judiciary etc.

Unitary Characteristics of the Indian Constitution:

Single (single) citizenship, the power to form new states with the Parliament, the monopoly of the Center in the All India Services, the appointment of the Governor by the President, the power of the Center to make laws on the state list, emergency provisions, etc.

These forces lead it to a unitary trait. But despite having federal characteristics, the biggest reason for being unitary is the interest of the country. Because ensuring the unity and integrity of India is the main objective of our Indian Constitution. Therefore, the Indian Constitution, despite being federal, retains the quality of unity.

प्रश्न केंद्र तथा राज्यों के बीच विधायी संबंधों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।

संविधान के भाग- XI में अनुच्छेद 245 से 255 तक केन्द्र-राज्य विधायी संबंधों की चर्चा की गई है। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य अनुच्छेद भी इस विषय से संबंधित हैं।

संविधान के अनुच्छेद 245 में कहा गया है कि इस संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए संसद भारत के संपूर्ण राज्य क्षेत्र अथवा उसके किसी भाग के लिये विधि बना सकेगी तथा किसी राज्य का विधानमंडल उस संपूर्ण राज्य अथवा किसी भाग के लिये विधि बना सकेगा।

भारतीय संविधान में केंद्र व राज्यों के बीच विधायी शक्तियों के रूप में सातवीं अनुसूची में तीन प्रकार की सूचियाँ उपस्थित हैं। प्रथम ‘संघ सूची’ में महत्त्वपूर्ण विषयों का उल्लेख है जिसमें रक्षा, संचार, विदेश नीति आदि शामिल हैं और जहाँ सिर्फ केंद्र के कानून प्रभावी हैं।

द्वितीय ‘राज्य सूची’ में राज्य सरकार के पास कानून बनाने की शक्ति है लेकिन मतभेद की स्थिति में राज्य कानून के ऊपर केंद्रीय कानून को वरीयता मिलेगी। इस सूची में 61 विषय (मूलतः 66 विषय) हैं, जैसे- स्थानीय शासन, मत्स्य पालन, सार्वजनिक व्यवस्था आदि।

तीसरी ‘समवर्ती सूची’ जहाँ केंद्र व राज्य के कानूनों में विरोध नहीं होना चाहिये अन्यथा केंद्र के कानून प्रभावी होंगे। वर्तमान में इसमें 52 विषय (मूलतः 47) हैं, जैसे- आपराधिक कानून प्रक्रिया, सिविल प्रक्रिया, विवाह एवं तलाक, श्रम कल्याण, बिजली आदि।

Write a short note on the legislative relations between the center and the states.

Article 245 to 255 in Part-XI of the Constitution discusses the Centre-State legislative relations. Apart from this some other articles are also related to this subject.

Article 245 of the Constitution states that subject to the provisions of this Constitution, Parliament may make laws for the whole or any part of the territory of India and the Legislature of any State may make laws for the whole or any part of that State.

Three types of lists are present in the Seventh Schedule as the legislative powers between the Center and the States in the Indian Constitution. The first ‘Union List’ mentions important subjects which include defence, communication, foreign policy etc. and where only the laws of the Center are effective.

In the second ‘state list’, the state government has the power to make laws, but in case of difference of opinion, the central law will get precedence over the state law. There are 61 subjects (originally 66 subjects) in this list, such as local government, fisheries, public order etc.

Third ‘concurrent list’ where there should be no conflict between the laws of the center and the states, otherwise the laws of the center will prevail. At present it has 52 subjects (originally 47), such as – Criminal Law Procedure, Civil Procedure, Marriage and Divorce, Labor Welfare, Electricity etc.

प्रश्न केंद्र तथा राज्यों के बीच वित्तीय संबंधों का विश्लेषण कीजिए ।

संविधान का अनुच्छेद 275 संसद को इस बात का अधिकार प्रदान करता है कि वह ऐसे राज्यों को उपयुक्त सहायक अनुदान देने का उपबंध कर सकती है जिन्हें संसद की दृष्टि में सहायता की आवश्यकता है।

अनुच्छेद 286, 287, 288 तथा 289 में केंद्र तथा राज्य सरकारों को एक-दूसरे द्वारा कुछ वस्तुओं पर कर लगाने से मना किया गया है और उन्हें कुछ करों से भी मुक्ति प्रदान की गई है। वहीं संविधान के अनुच्छेद 292 तथा 293 क्रमशः संघ तथा राज्य सरकारों को शरण लेने का अधिकार भी प्रदान करते हैं।

संविधान का अनुच्छेद 265 यह प्रबंध करता है कि विधि के प्राधिकार के बिना कोई कर शपथ या संग्रहीत नहीं किया जा सकता।

Describe the financial relations between the center and states.

Article 275 of the Constitution empowers Parliament to make provisions for making suitable grants-in-aid to such States which, in the opinion of Parliament, are in need of assistance.

Articles 286, 287, 288 and 289 forbade the central and state governments from levying taxes on certain goods by each other and exempted them from certain taxes. At the same time, Articles 292 and 293 of the Constitution also provide the right to take refuge to the Union and State Governments respectively.

Article 265 of the Constitution provides that no tax can be sworn or collected except by authority of law.

प्रश्न आपातकाल के प्रभाव 

वित्तीय आपातकाल के दौरान केंद्र के कार्यकारी अधिकार विस्तृत हो जाते हैं जिससे वह देश के किसी भी राज्य को उपयुक्त वित्तीय आदेश जारी कर सकता है।

वित्तीय आपातकाल में राज्य कर्मचारियों के लगभग हर वर्ग के व्यक्तियों के वेतन एवं भत्ते में कमी आ जाती है।

आपातकाल की स्तिथि में चुनाव को स्थगित कर दिया जाता है एवं नागरिक अधिकारों को समाप्त कर दिया जाता है।

आपातकाल लागू होने के बाद राज्य की कार्यपालिका शक्ति केंद्र कार्यपालिका शक्ति के अंतर्गत कार्य करती है।

आपात उद्घोषणा के लागू होने के पश्चात भारत का संविधान संघात्मक से एकात्मक संविधान हो जाता है।

आपातकाल की स्तिथि में राज्यों को सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्राप्त होती है जिसे राष्ट्रपति स्वयं अपने हिसाब से परिवर्तित भी कर सकता है।

आपातकाल में राज्य सरकार की शक्ति को केंद्र सरकार द्वारा कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया जाता है। इस स्तिथि में राज्य विधान मंडल संसद द्वारा पारित विधियों के तहत राज्य सूची के विषय में कानून बना सकते हैं।

वित्तीय आपातकाल राज्य की विधायिका द्वारा पारित हुए सभी धन विधेयकों अथवा अन्य वित्तीय बिलों को राष्ट्रपति द्वारा रिज़र्व में रखा जाता है।

Effects of emergency

During financial emergency, the executive powers of the center are expanded so that it can issue suitable financial orders to any state in the country.

In financial emergency, there is a reduction in the salary and allowances of almost every section of the state employees.

In case of emergency, elections are postponed and civil rights are terminated.

After the imposition of emergency, the executive power of the state works under the central executive power.

After the proclamation of emergency comes into force, the Constitution of India becomes a unitary constitution from a federal one.

In the event of emergency, the states get financial assistance by the government, which the President can change according to himself.

In emergency, the power of the state government is suspended for some time by the central government. In this situation, the State Legislature can make laws regarding the State List under the laws passed by the Parliament.

Financial emergency All money bills or other financial bills passed by the state legislature are kept in reserve by the President.

प्रश्न राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने के प्रभाव

राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के कारण घोषित आपातकाल के निम्नलिखित प्रभाव होते हैं:

राष्ट्रपति राज्य सरकार के सभी कार्यों अथवा किसी एक कार्य को अपने हाथ में ले सकता है, अथवा उनको राज्यपाल या किसी अन्य कार्यकारी अधिकारी को सौंप सकता है।

राष्ट्रपति राज्य विधानसभा को स्थगित अथवा भंग कर सकता है। वह संसद को राज्य विधानमंडल के स्थान पर कानून निर्माण के लिए प्राधिकृत भी कर सकता है।

  घोषित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राष्ट्रपति कोई अन्य आवश्यक प्रावधान भी लागू कर सकता है।

Effects of Imposition of President’s Rule in a State

The declaration of emergency due to the breakdown of Constitutional machinery in a State has the following effects:

The President can assume to himself all or any of the functions of the State Government or he may vest all or any of those functions with the Governor or any other executive authority.

The President may dissolve the State Legislative Assembly or put it under suspension. He may authorise the Parliament to make laws on behalf of the State Legislature.

The President can make any other incidental or consequential provision necessary to give effect to the object of proclamation.

प्रश्न वित्तीय संकट के प्रभाव

 वित्तीय संकट की घोषणा के निम्नलिखित प्रभाव हो सकते हैं:

केन्द्र सरकार किसी भी राज्य को वित्तीय मामलों से संबंधित निर्देश दे सकती है।

राष्ट्रपति राज्य के सरकारी कर्मचारियों के वेतन व भत्तों को कम करने की सिफारिश कर सकता

राज्य विधान मण्डल द्वारा पारित वित्त विधेयकों को संसद में विचार के लिए राष्ट्रपति, राज्य से सुरक्षित रखने के लिए कह सकता है।

राष्ट्रपति केन्द्रीय कर्मचारियों जिनमें उच्च और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश शामिल हैं, उनके वेतन व भत्ते कम करने का निर्देश दे सकता है।

Effects of Financial Emergency

The proclamation of Financial Emergency may have the following consequences:

The Union Government may give direction to any of the States regarding financial matters.

The President may ask the States to reduce the salaries and allowances of all or any class of persons in government service.

The President may ask the States to reserve all the money bills for the consideration of the Parliament after they have been passed by the State Legislature.

The President may also give directions for the reduction of salaries and allowances of the Central Government employees including the Judges of the Supreme Court and the High Courts.

प्रश्न संसद के कार्य

संसद के कार्य निम्नलिखित हैं

1. कार्यपालिका का नियंत्रण

संसद का एक महत्त्वपूर्ण कार्य है मंत्रिपरिषद् की चूक और वचनबद्धता की जवाबदेही तय करते हुए उस पर अपने नियंत्रण के अधिकार का प्रयोग करना। धारा 75(3) में स्पष्ट कहा गया है कि मंत्रिपरिषद तभी तक कार्यरत रह सकती है, जब तक उसे लोकसभा का विश्वास प्राप्त है। संसद का यह महत्त्वपूर्ण कार्य एक जवाबदेह शासन को सुनिश्चित करता है।

2. कानून बनाना

कानून बनाना किसी भी विधानमंडल का प्रधान कार्य है। भारत की संसद उन तमाम विषयों पर कानून बनाती है, जो संघ सूची और समवर्ती सूची (राज्य और केंद्र, दोनों की सूची में शामिल विषय) में शामिल हैं।

3. वित्त का नियंत्रण

संसद, खासकर लोकसभा वित्त के कार्यक्षेत्र में महत्त्वपूर्ण अधिकारों का प्रयोग करती है। विधायिका को यह सुनिश्चित करना होता है कि सार्वजनिक निधि की उगाही और व्यय उसकी अनुमति से हो।

4. विमर्श शुरू करना

सभी महत्त्वपूर्ण प्रशासनिक नीतियों की चर्चा सदन के पटल पर होती है। लिहाजा न केवल मंत्रिमंडल संसद का परामर्श हासिल करता है और अपनी खामियों के बारे में जानता है, बल्कि पूरे देश को भी सार्वजनिक महत्त्व के विषयों के बारे में जानकारी मिलती है।

5. संवैधानिक कार्य

संविधान के अंतर्गत संसद एकमात्र निकाय है, जो संविधान में संशोधन के लिए कोई प्रस्ताव पेश कर सकता है। संशोधन का प्रस्ताव किसी भी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) में पेश किया जा सकता है।

6. निर्वाचन संबंधी कार्य

संसद राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में भी भाग लेती है। यह अपनी समितियों के विभिन्न सदस्यों, पीठासीन पदाधिकारियों और उप पीठासीन पदाधिकारियों को भी चुनती है।

7. न्यायिक कार्य

संसद के पास राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, सुप्रीम व हाई कोर्ट के जजों के साथ-साथ संघ व राज्य लोक सेवा आयोगों के अध्यक्षों तथा सदस्यों और सीएजी पर महाभियोग चलाने का अधिकार है।

Functions of Parliament

Following are the functions of Parliament

1. Control of the Executive

An important function of the Parliament is to exercise the right of its control over the Council of Ministers by fixing the accountability for the lapses and commitments. Section 75(3) clearly states that the Council of Ministers can continue to function only so long as it has the confidence of the Lok Sabha. This important function of Parliament ensures an accountable governance.

2. Legislation

Making laws is the main function of any legislature. The Parliament of India makes laws on all those subjects which are included in the Union List and the Concurrent List (subjects included in the list of both the states and the Centre).

3. Control of Finance

Parliament, especially the Lok Sabha, exercises important powers in the sphere of finance. The legislature has to ensure that public funds are raised and spent with its permission.

4. Starting a Discussion

All important administrative policies are discussed on the floor of the House. So not only does the Cabinet get the advice of the Parliament and know about its shortcomings, but the whole country also gets information about the subjects of public importance.

5. Constitutional Functions

Parliament is the only body under the Constitution, which can move any motion to amend the Constitution. A motion for amendment can be introduced in either house (Lok Sabha or Rajya Sabha).

6. Election related work

Parliament also participates in the election of the President and Vice President. It also elects various members of its committees, presiding office bearers and deputy presiding office bearers.

7. Judicial Functions

Parliament has the power to impeach the President, Vice-President, judges of Supreme and High Courts as well as chairpersons and members of Union and State Public Service Commissions and the CAG.

प्रश्न कार्यपालिका के कार्य

कार्यपालिका के प्रमुख कार्य हैं :-

कार्यपालिका के प्रशासकीय कार्य

विदेश नीति का संचालन

कार्यपालिका के व्यवस्थापन सम्बन्धी कार्य

कार्यपालिका के सैनिक कार्य

कार्यपालिका के वित्तीय कार्य

कार्यपालिका के न्यायिक कार्य

नीति-निर्माण करना

कार्यपालिका के संकटकालीन कार्य

कार्यपालिका के राजनीतिक कार्य

कार्यपालिका के आर्थिक कार्य

Executive functions

The main functions of the executive are:-

Administrative Functions of the Executive

Conduct of Foreign Policy

Administrative functions of the executive

Military Functions of the Executive

Financial Functions of the Executive

Judicial functions of the executive

Policy making

Critical Functions of the Executive

Political Functions of the Executive

Economic Functions of the Executive

प्रश्न भारत की संसद में कानून बनाने की प्रक्रिया का वर्णन

संसद मुख्यता कानून बनाने वाली संस्था है। को भी प्रस्तावित कानून, संसद में एक विधेयक के रूप में प्रतिस्थापित किया जाता है। संसद में पारित होने तथा राष्ट्रपति की स्वीकृति के पश्चात यह कानून बन जाता है। अब हम यह अध्ययन करेंगे कि संसद किस प्रकार कानून बनाती है । 

Describe the process of making laws in the Parliament of India

Parliament is primarily a law making body. The proposed law is also substituted as a Bill in Parliament. It becomes a law after it is passed in the Parliament and approved by the President. Now we will study how Parliament makes laws.

प्रश्न लोकसभा अध्यक्ष की शक्तियों का वर्णन करें?

राज्यसभा व राष्ट्रपति के साथ मिलकर लोकसभा कानून निर्माण का कार्य करती है।

बजट पारित करना तथा कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं यह फैसला लोकसभा अध्यक्ष का होता है।

राज्य के साथ मिलकर संविधान में संशोधन करना लोकसभा का कार्य है।

मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदाई होता है।

लोकसभा के सदस्यों के माध्यम से मंत्रियों पर नियंत्रण स्थापित कर उसे उनके दायित्वों के प्रति सतर्क बनाएं रखने का कार्य लोकसभा का है।

लोकसभा, राज्य विधानसभा के साथ मिलकर राष्ट्रपति के निर्वाचन एवं राज्यसभा के साथ मिलकर उपराष्ट्रपति के निर्वाचन में भाग लेने की शक्तियां प्राप्त है।

लोकसभा, राज्यसभा के साथ मिलकर राष्ट्रपति तथा सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के विरुद्ध महाभियोग का प्रस्ताव पारित करने की शक्तियां भी प्राप्त है।

उपराष्ट्रपति की पद मुक्ति के प्रस्ताव (राज्यसभा द्वारा पारित) की जांच करती है।

लोकसभा में विपक्ष के नेता को कैबिनेट स्तर का सम्मान प्राप्त होता है।

Describe the powers of the Speaker of Lok Sabha?

Lok Sabha works with the Rajya Sabha and the President to make laws.

It is the decision of the Speaker of the Lok Sabha to pass the budget and whether a bill is a money bill or not.

The task of the Lok Sabha is to amend the Constitution together with the state.

The Council of Ministers is collectively responsible to the Lok Sabha.

By establishing control over the ministers through the members of the Lok Sabha, it is the task of the Lok Sabha to keep them alert about their responsibilities.

Lok Sabha, together with the State Legislative Assembly, has the power to participate in the election of the President and the election of the Vice-President together with the Rajya Sabha.

The Lok Sabha, along with the Rajya Sabha, has the power to pass impeachment motions against the President and the judges of the Supreme Court and High Courts.

Examines the motion of discharge (passed by Rajya Sabha) of the Vice-President.

The Leader of the Opposition in the Lok Sabha enjoys cabinet level honors.

प्रश्न भारतीय न्याय प्रणाली

INDIAN JUDICIAL SYSTEM

प्रश्न राज्य विधान सभा का सदस्य बनने के लिए एक व्यक्ति में क्या योग्यताएं होनी चाहिए:

राज्य विधान सभा का सदस्य बनने के लिए एक व्यक्ति में निम्नलिखित योग्यताएं होनी चाहिए:

वह भारत का नागरिक हो;

वह 25 वर्ष का हो;

उस का नाम मतदाता सूची में होना चाहिए

किसी लाभ के पद पर अथवा सरकारी पद पर कार्यरत न हो।

What are the qualifications a person should have to become a member of the State Legislative Assembly:

In order to become a Member of Vidhan Sabha a person must:

Be a citizen of India;

Have attained the age of 25 years;

His/her name must be in voters’ list;

Must not hold any office of profit i.e.;

Should not be a government servant.

प्रश्न विधान परिषद का सदस्य बनने के लिए निम्नलिखित योग्यताएं

विधान परिषद का सदस्य बनने के लिए निम्नलिखित योग्यताएं होनी चाहिए:

वह भारत का नागरिक हो:

30 वर्ष की आयु प्राप्त कर चुका हो;

राज्य का पंजीकृत मतदाता हो;

उसके पास कोई लाभ का पद न हो।

Following are the qualifications to become a member of the Legislative Council

In order to be a member of the Legislative Council the person concerned should

Be a citizen of India:

Have attained the age of 30 years;

Be a registered voter in the State;

Not hold any office of profit.

प्रश्न जिला स्तर पर अधीनस्थ न्यायालय

Subordinate or Lower Courts in Districts

प्रश्न निर्वाचन आयोग के कार्य व अधिकार

निर्वाचन आयोग राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, संसद, राज्य विधानसभा के चुनाव का पर्यवेक्षण, निर्देशन तथा आयोजन करवाने का मुख्य कार्य करता है

निर्वाचन आयोग निर्वाचक नामावली तैयार करवाता है

निर्वाचन आयोग सभी राजनैतिक दलों का पंजीकरण और मान्यता प्रदान करता है

राजनैतिक दलों का राष्ट्रीय, राज्य स्तर के रूप मे वर्गीकरण निर्वाचन आयोग के द्वारा किया जाता है

निर्वाचन आयोग सांसद या विधायक की अयोग्यता के लिए राष्ट्रपति और राज्यपाल को सलाह देता है

गलत निर्वाचन उपायों का उपयोग करने वाले व्यक्तियों को निर्वाचन के लिये अयोग्य घोषित करता है

Functions and Powers of Election Commission.

The Election Commission performs the main function of supervising, directing and organizing the election of President, Vice President, Parliament, State Legislative Assembly.

The Election Commission gets the electoral roll prepared

The Election Commission provides registration and recognition of all political parties

Classification of political parties as national, state level is done by the Election Commission

The Election Commission advises the President and the Governor on the disqualification of an MP or an MLA.

Disqualifies persons for election using wrong electoral measures.

प्रश्न चुनाव आयोग के कार्य

चुनाव क्षेत्रों का सीमा का निर्धारण करना जो प्रत्येक 10 वर्ष के बाद होने वाली जनगणना के अनुसार संभव होता है।

राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करना होता है। साथ ही साथ राजनीतिक दलों को विशेष चुनाव चिन्ह प्रदान करना भी चुनाव आयोग का कार्य है।

चुनाव आयोग मतदान सूची का निर्माण करता है

निर्वाचन आयोग चुनाव की व्यवस्था करता है और उसे रद्द करने की घोषणा भी अधिकार रखता है।

चुनाव आयोग उपचुनाव भी करवाता है।

चुनाव आयोग राजनीतिक दलों के लिए आचार संहिता तैयार करने का कार्य करता है।

चुनाव आयोग मतदाताओं को राजनीतिक प्रशिक्षण भी करवाने का कार्य करता है।

Functions of election commission

Determining the boundaries of constituencies which is possible according to the census held after every 10 years.

National and regional political parties have to be recognized. At the same time, it is also the work of the Election Commission to provide special election symbols to political parties.

The Election Commission prepares the voting list

The Election Commission arranges the election and also has the right to declare its cancellation.

The Election Commission also conducts by-elections.

The Election Commission is responsible for preparing the code of conduct for political parties.

The Election Commission also undertakes political training to the voters.

प्रश्न राजनीतिक दल की विशेषताएं

राजनीतिक दल विशिष्ट सिद्धान्तों के आधार पर संगठित व्यक्तियों का समूह है।

राजनीेतिक दल बहुत सारे व्यक्तियों का स्थायी संगठन है।

राजनीतिक दल अपने सदस्यों के हितों को ध्यान में रखते हुए समाज के व्यापक हित को बढ़ावा देना चाहता है।

राजनीतिक दल के सदस्यों में सामान्य लक्ष्यों व सिद्धान्तों पर आम सहमति पाई जाती है।

राजनीतिक दल का कार्यक्रम स्पष्ट होता है।

राजनीतिक दल अपने सिद्धान्तों, नीतियों व कार्यक्रम को कार्यान्वित करने के लिए राजनीतिक शक्ति प्राप्त करना चाहता है।

राजनीतिक दल राजनीतिक सत्ता प्राप्त करने के लिए चुनावों में भाग लेता है।

राजनीतिक दल अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए शान्तिपूर्ण तथा संविधान व कई बार असंविधानिक साधन भी अपनाता है।

राजनीतिक दल राजनीतिक सत्ता की प्राप्ति के बाद अपने सिद्धान्तों को व्यवहारिक रूप देना शुरु कर देता है।

Features of Political Party

A political party is a group of individuals organized on the basis of specific principles.

Political party is a permanent organization of many individuals.

The political party seeks to promote the larger interest of the society keeping in view the interests of its members.

There is a consensus on common goals and principles among the members of a political party.

The program of the political party is clear.

Political party wants to get political power to implement its principles, policies and programme.

Political party participates in elections to obtain political power.

Political parties adopt peaceful and constitutional and sometimes unconstitutional means to achieve their objectives.

Political party starts giving practical form to its principles after attaining political power.

प्रश्न पर्यावरण की समस्याएं

पर्यावरण की कुछ विशेष समस्याएं निम्नलिखित हैं

भूमि, वायु और पानी

जनसंख्या में वृद्धि

शहरीकरण

  औद्योगिकीकरण

Environmental problems

Following are some of the special problems of the environment.

Land, Air and Water

Increase in Population

Urbanization

Industrialization

प्रश्न भारत की राष्ट्रीय पर्यावरण नीति के उद्देश्य

भारत की राष्ट्रीय पर्यावरण नीति के उद्देश्य निम्नलिखित हैं

1) सुरक्षित, स्वस्थ, उत्पादक और सौन्दर्य बोध को संतुष्ट करने वाले पर्यावरण का संरक्षण एवं विकास करना;

2) ग्रामीण और शहरी बस्तियों के जीवन स्तर में श्रेष्ठता लाने के लिए उन्हें सुधारना तथा विकसित करना;

3) विकास को पारिस्थितिकी के सिद्धांत पर आधारित करना तथा उसके साथ पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का अनुमान लगाना और पर्यावरण सुरक्षा का समुचित प्रबंध करना;

4) पर्यावरण सुरक्षा की तकनीकों को प्रोत्साहित करना, संसाधनों का पुनर्चक्रण करना तथा कूड़े का उपयोग करना;

5) देश में जैव-विविधता के संरक्षण हेतु प्राकृतिक संरक्षित पशु-पक्षी विहार, जैसे पहाड़ों, वर्षा वनो, चरागाहों, मरुस्थल, जलीय क्षेत्र, झीलों, समुद्री तटों, नदी के मुहानों, समुद्री ढालों तथा द्वीपों को सुरक्षित रखना;

(6) राष्ट्रीय समुद्री विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र के अंतर्गत पर्यावरण को सरक्षित रखना

Objectives of National Environment Policy of India.

The following are the objectives of the National Environment Policy of India

1) Conserve and develop safe, healthy, productive, and aesthetically satisfying environment ;

2) Upgrade, develop and manage rural and urban settlement to enhance the quality of life ;

3) Plan development on sound ecological principles with environmental impact assessment and incorporating appropriate environmental safeguards ;

4) Promote environmental safety-technologies, recycling of resources and utilization of wastes ;

5) Conserve the biotic diversity in the country by creating nature reserves and sanctuaries for specific habitats such as mountains, rain forests, pastures, deserts, wet lands, lakes, beaches, mangroves, estuaries, lagoons and island ;

6) Safeguard the environment within the national maritime Exclusive Economic Zone.

प्रश्न पर्यावरणीय प्रदूषण को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा किए गए कुछ उपाय

पर्यावरणीय प्रदूषण को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा किए गए कुछ उपाय निम्नलिखित हैं

पर्यावरण अदालतें

पर्यावरण हितैषी उत्पाद

पेट्रोल को शीशा मुक्त करना

हानिकारक कीटनाशकों पर प्रतिबंध

राष्ट्रीय कूड़ा प्रबंधन परिषद

पब्लिक लायबिल्टी इन्श्योरेंस

मोटरवाहनों द्वारा प्रदूषण

समुद्र तट के निकट होटल

राष्ट्रीय नदी कार्य योजना

सौर ऊर्जा आयोग

सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान निषेध

Some Measures taken by Indian Government to Check Environmental Pollution.

Following are some of the measures taken by the Government of India to prevent environmental pollution

Environmental Courts

Environment Friendly Products

Unleading Of Petrol

Ban On Harmful Pesticides

National Waste Management Council

Public Liability Insurance

Pollution By Motor Vehicles

Hotel Near Sea Shore

National River Action Plan

Solar Energy Commission

No Smoking In Public Places

प्रश्न मानवाधिकारों की छह मूल विशेषताएं कौन-सी हैं ?

मानवाधिकारों की छह मूल विशेषताएं ये हम

मानव होने के नाते लोगों के पास अधिकार हैं।

मानवाधिकार सार्वभौमिक हैं

मानवाधिकार सभी लोगों को समान मानते हैं

ये अधिकार मूलतः वैयक्तिक होते हैं

मानवाधिकारों के अंतर्गत मानवता के मौलिक सिद्धांत समाहित हैं

मानवाधिकारों का संवर्धन एवं संरक्षण केवल देश की सीमा के अंदर ही समिति नहीं है बल्कि यह कुछ आदर्शों को स्थापित करता है जो पूरे विश्व में माने जाते हैं |

Six Features of Human Rights.

These are the six basic features of human rights

People have rights simply because they are human

Human rights are universal

Human rights treat all people as equal

  These rights belong primarily to individuals

Human rights encompass the fundamental principles of humanity

The promotion and protection of human rights is not limited to national boundaries but rather stipulates certain ideals that apply the world over.

प्रश्न भारत की विदेश नीति: मुख्य उद्देश्य

किसी भी अन्य देश के समान ही भारत की विदेश नीति का मुख्य और प्राथमिक उद्देश्य अपने ‘राष्ट्रीय हितों’ को सुरक्षित करना है।

उल्लेखनीय है कि सभी देशों के लिये ‘राष्ट्रीय हित’ का दायरा अलग-अलग होता है। भारत के परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय हित के अर्थ में क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिये हमारी सीमाओं को सुरक्षित करना, सीमा-पार आतंकवाद का मुकाबला, ऊर्जा सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, साइबर सुरक्षा आदि शामिल हैं।

अपनी विकास गति को बढ़ाने के लिये भारत को पर्याप्त विदेशी सहायता की आवश्यकता होगी। विभिन्न परियोजनाओं जैसे- मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, स्मार्ट सिटीज़, इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, डिजिटल इंडिया, क्लीन इंडिया आदि को सफल बनाने के लिये भारत को विदेशी सहयोगियों, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, वित्तीय सहायता और टेक्नोलॉजी की ज़रूरत है।

विश्व भर में भारत का डायस्पोरा भी काफी मज़बूत है और तकरीबन विश्व के सभी देशों में फैला हुआ है। भारत की विदेश नीति का एक अन्य उद्देश्य विदेशों में रह रहे भारतीय को संलग्न कर वहाँ उनकी उपस्थिति का अधिकतम लाभ उठाना है, इसी के साथ उनके हितों को सुरक्षित रखना भी आवश्यक होता है।

India’s Foreign Policy: Main Objectives

Like any other country, the main and primary objective of India’s foreign policy is to safeguard its ‘national interests’.

It is noteworthy that the scope of ‘national interest’ is different for all countries. In India’s perspective, national interests include securing our borders, counter-terrorism, energy security, food security, cyber security, etc. to protect territorial integrity in the sense of national interest.

India will need substantial foreign aid to increase its growth rate. To make various projects like Make in India, Skill India, Smart Cities, Infrastructure Development, Digital India, Clean India successful, India needs foreign partners, foreign direct investment, financial assistance and technology.

India’s diaspora around the world is also very strong and is spread in almost all the countries of the world. Another objective of India’s foreign policy is to engage Indians living abroad and take maximum advantage of their presence there, at the same time it is necessary to protect their interests.

प्रश्न गुटनिरपेक्षता की विशेषताएं

गुटनिरपेक्षता नीति की निम्नलिखित विशेषताएं हैं-

(अ) जिसकी स्वतंत्र विदेश नीति पर हो।

(ब) जो राष्ट्र किसी सैनिक गुट का सदस्य नहीं हो।

(स) जो किसी महाशक्ति से द्विपक्षीय समझौता न करता हो।

(द) सदस्य देश उपनिवेश का विरोध करता हो।

(ई) जो अपने क्षेत्र में किसी महाशक्ति को सैनिक अड्डा बनाने की अनुमति न देता हो।

Features of Non-Alignment

The following are the features of non-alignment policy:

(a) Whose independent foreign policy.

(b) A nation which is not a member of any military group.

(c) which does not enter into bilateral agreement with any superpower.

(d) The member country opposes the colonization.

(e) which does not allow any superpower to build a military base in its territory.

प्रश्न 1962 भारत-चीन युद्ध के कारण

सीमा विवाद – भारत और चीन के बीच युद्ध का मुख्य कारण अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन पर सीमा विवाद था।

भारतीय क्षेत्र में सड़क निर्माण – 1954 में चीन ने शिनजियांग और तिब्बत को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए भारत के अक्साई चिन से एक सड़क का निर्माण किया। 1959 अक्साई चिन में सड़क निर्माण की खबर मिलने के बाद भारत ने इसका विरोध किया, जिससे सीमा पर तनाव और बढ़ गया।

दलाई लामा – 1959 में दलाई लामा भारत आए और जवाहरलाल नेहरू ने उनका स्वागत किया, चीन को यह पसंद नहीं आया। दूसरा, चीन को लगता था कि तिब्बत में चीन के खिलाफ विद्रोह के पीछे भारत का हाथ है।

Causes of 1962 Sino-Indian War

Border dispute The main reason for the war between India and China was the border dispute over Arunachal Pradesh and Aksai Chin.

Road construction in Indian territory – In 1954, China constructed a road from Aksai Chin in India to connect Xinjiang and Tibet by road. 1959 India protested after receiving the news of road construction in Aksai Chin, which further increased the tension on the border.

Dalai Lama – In 1959, the Dalai Lama came to India and was welcomed by Jawaharlal Nehru, China did not like it. Second, China believed that India was behind the rebellion against China in Tibet.

प्रश्न भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद के प्रमुख मुद्दों की विवेचना कीजिए

भारत और पाकिस्तान में सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक तथा ऐतिहासिक समरूपताएँ

भारत-पाकिस्तान संघर्ष

1947-48, 1965, 1971 और 1999 में सैन्य संघर्ष

कश्मीर मुद्दा

हथियारों की होड़

आतंकवाद सियाचिन ग्लेशियर विवाद

सरक्रीक विवाद इत्यादि

Discuss the major issues of dispute between India and Pakistan

Social, economic, cultural and historical similarities in India and Pakistan

India-Pakistan conflict

Military conflicts in 1947-48, 1965, 1971 and 1999

Kashmir issue

Arms Race

Terrorism Siachen Glacier dispute

Sir Creek dispute etc.

प्रश्न चीन के साथ भारत के संबंध :

विवाद के क्षेत्र :

1950 में चीन द्वारा तिब्बत को हड़पने तथा भारत चीन सीमा पर बस्तियाँ बनाने के फैसले से दोनों देशों के संबंध एकदम बिगड़ गये।

चीन ने 1962 में लद्दाख और अरूणचल प्रदेश पर अपने दावे को जबरन स्थापित करने के लिए भारत पर आक्रमण किया।

चीन द्वारा पाकिस्तान को मदद देना।

चीन भारत के परमाणु परीक्षणों का विरोध करता है।

बांग्लादेश तथा म्यांमार से चीन के सैनिक संबंध को भारतीय हितो के खिलाफ माना जाता है।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद पर प्रतिबंध लगाने वाले प्रस्ताव को पेश किया। चीन द्वारा वीटो पावर का प्रयोग करने से यह प्रस्ताव निरस्त हो गया।

भारत ने अजहर मसूद के आतंवादी घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रस्ताव पेश किया, जिस पर चीन ने वीटो पावर का प्रयोग किया।

चीन की महत्वाकांक्षी योजना Ones Belt One Road, जो कि POK से होती हुई गुजरेगी, उसे भारत को घेरने की रणनीति के तौर पर लिया जा रहा है।

India’s relations with China:

Areas of Controversy:

In 1950, China’s decision to annex Tibet and establish settlements on the Indo-China border worsened the relations between the two countries.

China invaded India in 1962 to forcibly establish its claim on Ladakh and Arunachal Pradesh.

China’s aid to Pakistan.

China opposes India’s nuclear tests.

China’s military relations with Bangladesh and Myanmar are considered against Indian interests.

The United Nations introduced a resolution banning the terrorist organization Jaish-e-Muhammad. This proposal was canceled after China used veto power.

India introduced a resolution in the United Nations to declare Azhar Masood a terrorist, on which China used veto power.

China’s ambitious plan Ones Belt One Road, which will pass through PoK, is being taken as a strategy to encircle India.

प्रश्न प्रमुख अंग – संरचना और कार्य

शांति तथा सहयोग के लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु संयुक्त राष्ट्र के निम्नलिखित छ: अंग हैं

महासभा

सुरक्षा परिषद

आर्थिक व सामाजिक परिषद

न्यास परिषद

अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय

सचिवालय

Principal Organs: Composition and Functions

To promote the goals of peace and cooperation, the United Nations has six principal organs. They are;

The General Assembly

The Security Council

The Economic and Social Council

Trusteeship Council

International Court of Justice

Secretariat

प्रश्न लोक सेवा आयोग की स्वतंत्रता

1. सदस्यों की नियुक्ति 6 वर्ष की तय अवधि या फिर यूपीएससी के मामले में 65 वर्ष की उम्र और एसपीएससी के मामले में 62 वर्ष की उम्र के लिए होती है।

2. किसी सदस्य की सेवा शर्तों में उनके कार्यकाल के दौरान अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।।

3. किसी सदस्य को हटाया जाना सर्वोच्च न्यायालय से मशविरा करने के बाद कुछ विशेष आधारों पर प्रशासनिक व्यवस्था ही राष्ट्रपति द्वारा संभव है।

4. आयोग पर होने वाले खर्च भारत की संचित निधि से होता है।

5. आयोग के क्षेत्राधिकार में आने वाले किसी मामले को छोड़कर सरकार द्वारा जारी किए जाने वाले सभी निर्देशों को संसद या राज्य विधायिका के समक्ष ऐसे-ऐसे परिवर्तन जो उपर्युक्त हो सकते हैं, के लिए रखा जाना जरूरी है।

6. तय सीमा से आगे किसी सदस्य की नियुक्ति कड़ाई से प्रतिबंधित है।

Independence of Public Service Commission

1. Members are appointed for a fixed tenure of six years or until the attainment of sixtyfive years of age in the case of UPSC, and sixty-two years in the case of SPSC.

2. The conditions of service of a member cannot be changed to his/her disadvantage during his tenure of office.

3. The removal of a member can take place by an order of the President on certain epecific grounds in consultation of the Supreme Court.

4. The expenses of the commission are charged on the Consolidated Fund of India.

5. All regulations to be issued by the government excluding any matter from the purview of the commission will have to be laid before the Parliament or the state legislature for such modification as it may deem fit to make.

6. Further employment of any member is severely restricted.

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